लखनऊ. विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव परिवार और समाजवादी पार्टी में छिड़ा संग्राम फिर से भड़क सकता है. अखिलेश यादव ने सोमवार को राम गोविंद चौधरी को विपक्ष को नेता नियुक्त कर दिया है.जबकि मुलायम सिंह यादव ने भी 29 मार्च को विधायकों से चर्चा बुलाई थी.
लेकिन अखिलेश यादव ने उस बैठक से पहले ही ये फैसला कर डाला. जबकि खबर यह है कि मुलायम सिंह और शिवपाल यादव आजम खान को इस पद के लिए नियुक्त करना चाहते थे. माना जा रहा है अखिलेश के इस कदम के बाद पार्टी में कलह बढ़ सकती है.
मिली जानकारी के मुताबिक विधायकों के साथ 29 मार्च को होनी वाली बैठक में मुलायम आजम खान का नाम आगे बढ़ा सकते थे. लेकिन पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं और उन्होंने इस अधिकार का इस्तेमाल किया है.
अखिलेश के खिलाफ हो सकता है विद्रोह
दरअसल विधानसभा चुनाव में 200 विधायकों के समर्थन बल पर पूरी पार्टी में कब्जा करने वाले अखिलेश यादव की स्थिति अब कमजोर हो गई है सपा को सिर्फ 47 सीटें मिली है.अखिलेश ने वादा किया था कि चुनाव जीतकर वह तीन के महीने के अंदर पार्टी को फिर से मुलायम को सौंप देंगे.ऑ
इसके अलावा मुलायम और शिवपाल को बिना विश्वास में लिए ही पार्टी के संविधान में संशोधन में कर दिया और नए पद बना दिए. खबर है कि चुनाव में बुरी तरह से हारने के बाद भी अखिलेश पार्टी में एकतरफा फैसले करते जा रहे हैं.
इसके बाद से अंदर ही अंदर एक बार फिर से तनाव बढ़ता जा रहा है. वहीं इस पूरे टकराव में मुलायम की पत्नी साधना ने भी एक मोर्चा खोल दिया है उन्होंने मीडिया में आकर ऐलान किया है कि वह नेता जी का अपमान और नहीं सहेंगी और शिवपाल के साथ भी अन्याय किया गया है.
आजम खान रह सकते हैं तटस्थ
वहीं पिछली बार लड़ाई के दौरान आजम खान ने काफी बीच-बचाव किया था लेकिन इस बार वह तटस्थ रह सकते हैं अगर ऐसा हुआ तो सपा में यह टकराव इस बार निर्णायक हो सकता है.