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मिशन 150 प्लस : गुजरात में इस बार बीजेपी के सामने हैं 5 बड़ी चुनौतियां

गांधीनगर. गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी के लिए कठिन लड़ाई है. पीएम मोदी के बाद गुजरात की सीएम बनाई गई सीएम आनंदी बेन पटेल के बाद कुर्सी संभालने वाले विजय रुपानी जनता से जुड़ने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं.
उनकी तारीफ भी हो रही है. बीजेपी को लगता है आखिरकार गुजरात में उसी की जीत होगी. बीजेपी इस बार चौथी बार लगातार सत्ता पाने की कोशिश कर रही है.
हालांकि इस बार भी उसके सामने ‘कमजोर’ कांग्रेस है जो निकाय चुनावों में बुरी तरह हारी है अब देखने वाली बात यह होगी इस झटके के बाद से कांग्रेस कितना संभली है.
लेकिन फिर भी बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती है जिसे पार्टी नजरंदाज नहीं कर सकती है और उसको बार से अलग रणनीति बनानी होगी. इनमें पांच बड़ी चुनौतियां हैं.

1- बीजेपी का चेहरा इस बार नहीं होंगे नरेंद्र मोदी
गुजरात की सत्ता में लगातार तीन बार राज करने वाले और गुजराती अस्मिता की बात कहकर पूरे राज्य को अपने पक्ष में करने की कला में माहिर नरेंद्र मोदी इस बार बीजेपी का चेहरा नहीं होंगे. उनकी जगह पर विजय रुपानी को ही चेहरा बनाया जा सकता है जो मोदी की तुलना में कहीं नहीं टिकटे हैं. इस बात का अंदाजा पहले ही लगाया जा रहा था कि मोदी के गुजरात से बाहर निकलने के बाद हो सकता है कि बीजेपी राज्य में कमजोर हो जाए और हुआ भी वही. पार्टी को बीच में ही अपना एक मुख्यमंत्री बदलना पड़ गया.
2- पाटीदार आंदोलन
आरक्षण को लेकर गुजरात में हार्दिक पटेल के नेतृत्ल में पाटीदार समुदाय ने बड़ा आंदोलन कर रखा है इस आंदोलन में हुई हिंसा और ठीक से संभाल न पाने के हालात में ही आनंदीबेन पटेल को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. बताया जा रहा है कि बीजेपी से पटेल नाराज हैं जो कि कभी उनका वोटबैंक हुआ करते थे.
3- 15 सालों से सत्ता में भी होने का खामियाजा?
गुजरात में पानी, स्वास्थ्य और जमीन के अधिग्रहण को लेकर कई छोटे बड़़े आंदोलन चल रहे हैं. कई किसान नाराज हैं. पानी की समस्या गुजरात के कई इलाकों में विकट हो गई है. सौराष्ट्र और उत्तरी गुजरात में तो किसान मौसम सहारे हैं. कई गांव के लोगों को पानी भरने के लिए दूर दराज जाना पड़ता है. मतलब कई साफ है कि कई स्थानीय मुद्दे इस बार हावी हैं. 
4- गुजरात बीजेपी में कलह की बातें 
कहा जाता है कि जब तक मोदी गुजरात में थे तो पार्टी के रास्ते में चल रहे थे. किसी भी विद्रोह को मोदी ने अपने समय में पनपने नहीं दिया या फिर आगे बढ़ने से पहले दबा दिया. लेकिन आनंदीबेन पटेल को सीएम पद से हटाए जाने के बाद कई नेताओं की महत्वकांक्षा हिलोरे मारने लगीं थीं.  रुपानी को सीएम बनाए जाने पर कुछ लोग खुश नहीं है. अब देखना ये होगा कि विधानसभा चुनाव में ये असंतुष्ट क्या गुल खिलाते हैं या फिर चुपचाप रहते हैं. कलह को थामने के लिए पीएम मोदी ने गुजरात बीजेपी सांसदों के साथ बैठक की है. 
5- आदिवासी क्षेत्रों में नाराजगी
इस बार सरकार के खिलाफ आदिवासी क्षेत्रों में नाराजगी है. इस नाराजगी का फायदा उठाकर इन इलाकों में भीलिस्तान नाम के एक आंदोलन को भी हवा दी जा रही है.  राज्य में 23 फीसदी आबादी आदिवासियों की है. हर बार वह नरेंद्र मोदी का चेहरा देखकर बीजेपी को वोट देते थे. लेकिन इस बार बीजेपी उनको कितना मना पाती है यह देखने वाली बात है. आदिवासी इस बार की गई अनदेखी को माफ करने के मूड में नही हैं.

 

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