अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अयोध्या में चल रहा है मंदिर-मस्जिद विवाग अगर कोर्ट के बाहर सुलझ जाए तो ठीक रहेगा क्योंकि यह धर्म और आस्था से जुड़ा मामला है. कोर्ट ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो अदालत इस पर मध्यस्थता करने के लिए भी तैयार है.
इसका कई बीजेपी नेताओं ने स्वागत भी किया है जिसमें सुब्रमण्यम स्वामी, उमा भारती शामिल हैं. स्वामी इस मामले में हिंदू पक्ष के वकील हैं लेकिन बाबरी एक्शन कमेटी के वकील ने कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में अगर स्वामी शामिल रहे तो कोई बात नहीं होगी.
वहीं हिंदू महासभा के वकील हरीशंकर जैन ने कहा है कि अदालत मध्यस्थता और कोर्ट के बाहर बातचीत की राय दे सकती है लेकिन बाध्य नहीं कर सकती है. आपको बता दें कि इस मामले में विवाद से जुड़े कई लोगो में ही एकमत नहीं है.
क्या कहते हैं अयोध्या के संत
दिगंबर अखाड़ा के संत महंत सुरेश दास ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि अगर हम इस मुद्दे को कोर्ट के बाहर निपटा सकते हैं तो एक मौका मिलना चाहिए. लेकिन हमें मंदिर चाहिए.
महंत ब्रज मोहन दास ने कहा है कि हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि वो लोग बात करने के लिए तैयार हैं बशर्ते कि वो ( मुस्लिम पक्ष) राम मंदिर निर्माण पर राजी हों.
हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत बाबा बलराम दास का कहना है कि पूरा देश राम मंदिर का निर्माण चाहता है. मैं सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का सम्मान करता हूं.