संघ के निशाने पर ममता सरकार, जिहादियों को शह देने के खिलाफ प्रतिनिधि सभा में किया प्रस्ताव पारित

संघ के निशाने पर अब है ममता सरकार, और ये लड़ाई जो अभी तक बीजेपी-ममता में दिखाई दे रही थी, अब उसे संघ ने खुलकर उसकी कमान अपने हाथों में ले ली है. राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने कोएम्बटूर में चल रह प्रतिनिधि सभा में पश्चिमी बंगाल के जेहादी तत्वों को ममता सरकार की शह के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कर दिया है.

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संघ के निशाने पर ममता सरकार, जिहादियों को शह देने के खिलाफ प्रतिनिधि सभा में किया प्रस्ताव पारित

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  • March 21, 2017 8:52 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली : संघ के निशाने पर अब है ममता सरकार, और ये लड़ाई जो अभी तक बीजेपी-ममता में दिखाई दे रही थी, अब उसे संघ ने खुलकर उसकी कमान अपने हाथों में ले ली है. राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने कोएम्बटूर में चल रह प्रतिनिधि सभा में पश्चिमी बंगाल के जेहादी तत्वों को ममता सरकार की शह के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कर दिया है.
 
प्रतिनिधि सभा संघ और संघ से जुड़े सभी आनुषांगिक संगठनों के सर्वोच्च पदों पर आसीन अधिकारियों की मीटिंग होती है और इसमें किसी भी प्रस्ताव के पारित होने का मतलब है कि संघ की आगामी रणनीति क्या होगी. पहली बार ये प्रतिनिधि सभा तमिलनाडु में रखी गई है.
 
कोएम्बटूर में चल रही तीन दिन की प्रतिनिधि सभा के इस प्रस्ताव में कहा गया है कि, “RSS अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, पश्चिम बंगाल में जिहादी तत्वों के निरन्तर बढ़ रहे हिंसाचार, राज्य सरकार द्वारा मुस्लिम वोट-बैंक की राजनीति के चलते राष्ट्र-विरोधी तत्वों को दिये जा रहे बढ़ावे तथा राज्य में घटती हिन्दू जनसंख्या के प्रति, गहरी चिन्ता व्यक्त करती है.
 
इस प्रस्ताव में बताया गया है कि कैसे बांग्लादेश की सीमा से 8 किमी अंदर के पुलिस स्टेशन में जेहादियों ने लूट की, कैसे रोज नए फतवे मौलवी वहां जारी कर रहे हैं, कैसे गोवंश तस्करी और जाली नोटों का खुला खेल वहां चल रहा है. इस प्रस्ताव में एनआईए की उस रिपोर्ट की भी चर्चा की गई है कि पश्चिम बंगाल के कई जिलों में इस्लामिक आंतकवादियों के कई मॉडयूल काम कर रहे हैं.
 
आजादी के बाद से कैसे हिंदुओं के जनसंख्या अनुपात में वहां आठ फीसदी तक की कमी आई गई है, इसका भी आरोप इस प्रस्ताव में आंकड़ों के साथ लगाया गया है.
 
प्रस्ताव के मुताबिक, ‘’ भारत विभाजन के समय बंगाल का हिन्दू बहुल क्षेत्र ही पश्चिम बंगाल के रूप में अस्तित्व में आया था. तदुपरान्त पूर्वी पाकिस्तान या वर्तमान बांग्लादेश में निरन्तर अत्याचार व प्रताड़ना के कारण वहाँ के हिन्दू नागरिक भारी संख्या में पश्चिम बंगाल में शरण लेने को बाध्य हुए. यह आश्चर्यजनक है कि बांग्लादेश से विस्थापित होकर बड़ी संख्या में हिन्दुओं के प.बंगाल में आने के उपरान्त भी राज्य की हिन्दू जनसंख्या जो 1951 में 78.45 प्रतिशत थी, वह 2011 की जनगणना के अनुसार घटकर 70.54 प्रतिशत तक आ गई. यह राष्ट्र की एकता व अखण्डता के लिए गंभीर चेतावनी का विषय है”.
 
इस प्रस्ताव में ममता सरकार पर ऐसे सभी जेहादी तत्वों को पालने का आरोप इस प्रस्ताव में लगाया गया है. आरोप लगाया गया है कि ममता सरकार इन उन्मादी तत्वों पर लगाम लगाने के बजाय उन्हें मंत्रिपद और तमाम ताकतवर पद बांट रही है, इससे उनके हौसले बुलंद हैं, कानून का खौफ नहीं है. संघ ने ये भी आरोप लगाया है कि मुस्लिम त्यौहारों को बढ़ावा देने के लिए सरस्वती पूजा पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं.
 
संघ ने एक तरह से इस प्रस्ताव के जरिए अभी से 2021 में होने वाले पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए कमर कस ली है. ये बड़ा राज्य है यहां संघ को बढ़ने की संभावनाएं दिखती हैं, लेकिन हो उलटा रहा है, केरल के बाद अगर सबसे ज्यादा हमले उसके स्वंयसेवकों पर हो रहे हैं तो वो पश्चिम बंगाल ही है. मालदा जैसे तमाम दंगे वहां हुए, जिनकी सारी जानकारी भी पूरे देश को ढंग से नहीं हो पाई.
 
वैसे भी पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन के लगे सीमावर्ती राज्यों को लेकर संघ की विशेष नजरें हमेशा से रही हैं. ऐसे में ममता सरकार के खिलाफ प्रस्ताव पारित करके संघ ने अपने इरादे जता दिए हैं, कि अब उनके एजेंडे में क्या है. इसी प्रस्ताव में मोदी सरकार से भी मांग की गई है कि वो पश्चिम बंगाल के राष्ट्रविरोधी तत्वों पर कड़ी कार्यवाही करे.    
 

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