लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कट्टर हिंदुत्ववादी नेता की छवि से तो हर कोई वाकिफ है, लेकिन उनकी एक छवि ऐसी भी है जिसकी वजह से दलित जनता भी योगी का गुणगान करते नहीं थकती है.
गोरखनाथ मठ के सन्यासी योगी आदित्यनाथ ने कई ऐसे काम किए हैं जिनकी वजह से गोरखपुर की जनता ने उन्हें लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव में जिताया है. कट्टर हिंदुत्ववादी नेता की छवि होने के बाद भी योगी ने उत्तर प्रदेश में काफी बड़े स्तर पर जनजागरण अभियान चलाया.
योगी ने लोगों के मन से छुआछूत जैसे विचारों को खत्म करने के लिए ‘एक साथ बैठें-एक साथ खाएं’ जैसे मंत्र का उद्घोष किया था. उन्होंने छुआछूत जैसी विचारधारा पर कड़ा प्रहार करने के लिए गांव-गांव में सहभोज कराया.
गुरु से हुए थे प्रभावित
समानात की भावना योगी के मन में उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ की वजह से और भी ज्यादा मजबूत हुई थी. वह अपने गुरु से काफी प्रभावित थे.
उनके गुरु ने दक्षिण भारत के मंदिरों में दलितों के प्रवेश के लिए कड़ा संघर्ष किया था. महंत अवैद्यनाथ ने कड़ा विरोध झेलने के बाद भी जून 1993 में पटना के महावीर मंदिर में एक दलित संत सूर्यवंशी दास का अभिषेक कर पुजारी नियुक्त किया था. इसके अलावा डोम राजा की चुनौती को स्वीकार करते हुए अवैद्यनाथ ने उनके घर जाकर संतों के साथ खाना खाया था.
योगी पर अवैद्यनाथ का ही गहरा प्रभाव था जिसकी वजह से उन्होंने भी छुआछूत के खिलाफ संघर्ष जारी रखा और लगातार दलितों के लिए काम करते रहे.
साल 1994 में महंत अवैद्यनाथ ने नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर में अपने उत्तराधिकारी के रूप में योगी को चुना और उनका दीक्षाभिषेक किया. गोरक्षपीठाधीश्वर ने 8 वीं सदी से ही देश में जातिवाद के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था. इसी पीठ से नाथ संप्रदाय की नींव रखी थी.