नई दिल्ली. योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कई लोगों को चौंका रहा है. विवादित बयानों के लिए मशहूर योगी को यूपी जैसा राज्य का मुखिया बनाना किसी दांव से कम नहीं है.
अभी तक माना जा रहा था कि इस फैसले के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ है लेकिन अब जो बात सामने आ रही है वो चौंकाने वाली है और इसके बाद एक सवाल ये भी उठने लगा है कि क्या 2024 या पीएम मोदी के बाद बीजेपी का राष्ट्रीय स्तर पर चेहरा योगी आदित्यनाथ होने वाले हैं.
यूपी में योगी की लोकप्रियता
उत्तर प्रदेश की गहरे जातीय समीकरण से ऊपर योगी की लोकप्रियता यूपी में हैं इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. विधानसभा चुनाव में जब विपक्षी दल नोटबंदी को मुद्दा बना रहे थे तो भी योगी की लोकप्रियता पर कोई असर पड़ता नहीं दिखाई दे रहा था. गोरखपुर सहित पूर्वांचल के आसपास जिलों में योगी का अच्छा-खासा दबदबा है.
सर्वे में योगी ही रहे आगे
नतीजा आने के बाद जब पूरी बीजेपी यूपी का सीएम चुनने के लिए माथापच्ची कर रही थी और कई नेताओं के नाम सामने आ रहे थे. बीजेपी के आंतरिक सर्वे में योगी आदित्यनाथ का नाम सबसे ऊपर था और योगी के नाम को लेकर पीएम मोदी और अमित शाह भी गंभीर थे. पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच हुए सर्वे में योगी आदित्यनाथ राजनाथ सिंह के साथ लगभग बराबरी पर थे.
योगी ने बीजेपी की पार कराई नैया
विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण में जब बीजेपी विद्रोही नेताओं से परेशान थी और पीएम मोदी तक को चुनाव प्रचार में उतरना पड़ा था तो योगी ने गोरखपुर सहित पूर्वांचल में घर-घर जाकर वोट मांगे थे.
योगी का किसी के दरवाजे पहुंचना पूर्वांचल में बड़ी बात मानी जाती है. इसका नतीजा सबके सामने है. पार्टी ने पूर्वांचल में ऐतिहासिक करिश्मा किया. इसके बाद से पार्टी में योगी एक मजबूत नेता के तौर पर उभर कर सामने आए.
सभी जातियों में सम्मान
योगी आदित्यनाथ गोरखपीठ धाम के महंत हैं. उनका कद किसी भी जाति-धर्म से ऊपर माना जाता है. लोकसभा चुनाव 2014 में पूर्वांचल में योगी की लोकप्रियता से पीएम मोदी और अमित शाह दोनों ही प्रभावित हुए थे.
गोरखनाथ पीठ को मानने वालों में ज्यादातर पिछड़े समुदाय ये आते हैं. 8 वीं सदी में नाथ संप्रदाय की शुरुआत करने वाली इस पीठ से जातिवाद के खिलाफ आंदोलन किया जा चुका है. ब्राह्मणों में भी पीठ को लेकर काफी सम्मान और श्रद्धा है.
संघ के भी दुलारे
योगी की जीवनशैली किसी आरएसएस के प्रचारक से कम नहीं है. सुबह 3 बजे उठना, गायों की सेवा करना, योगा और फिर लोगों से मिलना, ये दिनचर्या आमतौर पर संघ के प्रचारकों से मिलती-जुलती है.
लेकिन एक बात यहां जाननी जरूरी है कि यूपी विधानसभा चुनाव में आरएसएस के सर्वे ने बीजेपी को बहुमत नहीं दिया था और आरएसएस की ओर से कभी योगी को सीएम बनाने के लिए दबाव भी नहीं डाला गया है. ये बात पार्टी के नेता नाम न बताने की शर्त पर खुद कहते हैं.
मोदी की राह पर हैं योगी
जिस राजनीतिक विरोधाभासों का सामना गुजरात का सीएम बनने के बाद मोदी ने की थी वैसा ही कुछ योगी के भी सामने है. मोदी की छवि भी कट्टर मानी जाती थी और योगी भी कट्टरवाद का चेहरा हैं.
लेकिन धीरे-धीरे मोदी ने गुजरात में रहते हुए खुद की छवि बदली और हिंदू ह्दय सम्राट से ये आरएसएस का प्रचारक विकास पुरुष बन गया और केंद्र की राजनीति का धुरी बन गया. मोदी विरोध ने ही नरेंद्र मोदी को बड़ा नेता साबित कर दिया.
इसके लिए मोदी अपने विरोध को हथियार में बदला और गुजरात में हुए दंगों के बाद ‘मौत का सौदागर’ जैसे गंभीर आरोप को तमगे में बदल डाला.
योगी अब सीएम हैं. उनके विवादित बयान चर्चा में है. देखना ये होगा कि वह इस छवि को कितनी जल्दी तोड़ पाते या फिर नाकाम साबित होंगे. अगर वह इसमें कामयाब हुए तो यह तो पक्का है कि 2024 में आरएसएस उनके नाम पर आपत्ति नहीं करेगा.