नाथ संप्रदाय की कड़ी दीक्षा योगी से पहले भी निकले हैं कई महंत, राजनीति से रहा है गहरा नाता

योगी आदित्यनाथ आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले चुके हैं. मुख्यमंत्री बनते ही योगी आधित्यनाथ की जिम्मेदारी पहले से ज्यादा बढ़ जाती है. योगी आदित्यनाथ नाथ सपंद्राय परंपरा के सबसे बड़े संत हैं. लेकिन यह पहली बार नहीं हुआ जब किसी महंत ने राजनीति में इतना बड़ा पद अपनाया आदित्यनाथ के गुरु और नाथ संप्रदाय के महंत अवैद्यनाथ भी राजनीति में अपीन विशेष पहचान बना चुके हैं.

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नाथ संप्रदाय की कड़ी दीक्षा योगी से पहले भी निकले हैं कई महंत, राजनीति से रहा है गहरा नाता

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  • March 19, 2017 10:38 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
लखनऊ: योगी आदित्यनाथ आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले चुके हैं. मुख्यमंत्री बनते ही योगी आधित्यनाथ की जिम्मेदारी पहले से ज्यादा बढ़ गई है. योगी आदित्यनाथ नाथ सपंद्राय परंपरा के सबसे बड़े संत हैं. लेकिन यह पहली बार नहीं हुआ जब किसी महंत ने राजनीति में इतना बड़ा पद अपनाया है, आदित्यनाथ के गुरु और नाथ संप्रदाय के महंत अवैद्यनाथ भी राजनीति में अपीन विशेष पहचान बना चुके हैं.
 
कौन थे महंत अवैद्यनाथ 
भारत के राजनेता तथा गोरखनाथ मन्दिर के भूतपूर्व पीठाधीश्वर थे. वे गोरखपुर लोकसभा से चौथी लोकसभा के लिये हिंदू महासभा से सर्वप्रथम निर्वाचित हुए थे. इसके बाद नौवीं, दसवीं तथा ग्यारहवीं लोकसभा के लिये भी निर्वाचित हुए. दक्षिण भारत के रामनाथपुरम और मीनाक्षीपुरम में अनुसूचित जाति के लोगों के सामूहिक धर्मातरण की घटना से खासे आहत होते हुए महाराज जी ने राजनीति में पदार्पण किया. इस घटना का विस्तार उत्तर भारत में न हो, इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये गए और राजनीति में रहकर मतान्तरण का ध्रुवीकरण करने के कुटिल प्रयासों को असफल किया.
 
आपने 1962, 1967, 1974 व 1977 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानीराम सीट का प्रतिनिधित्व किया और 1970, 1989, 1991 और 1996 में गोरखपुर से लोकसभा सदस्य रहे. 34 वर्षों तक हिन्दू महासभा और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहकर हिंदुत्व को भारतीय राजनीति में गति देने वाले और सामाजिक हितों की रक्षा करने वाले श्री अवैद्यनाथ जी ने स्वयं को अवसरवाद और पदभार से स्वयं को दूर रखा और इस तरह उन्होंने राजयोग में भी हठयोग का प्रयोग बखूबी किया. कितने पद स्वयं महाराज जी के चरणों में आकर स्वयं सुशोभित होते थे और आशीष लेते थे.
 
 
योगी आदित्यनाथ के जीवन पर नजर डाले तो आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इनका जीवन शुरु से दूसरे लोगों से अलग रहा है.
बता दें कि योगी आदित्यनाथ का नाम पहले अजय सिंह था लेकिन अपनी सात साल की कठिन सेवा के बाद उन्हें नाथ संपद्राय में योगी की दीक्षा मिली. उनकी दिनचर्चा सुबह 3 बजे शुरू होती है. दो घंटे हठयोग करने के बाद सुबह पांच बजे पूजा पाठ करते हैं. उसके बाद हल्का नाश्ता करने के बाद अखबार पढ़ने और कार्यकर्ताओं से हालचाल लेते हैं.
 
उसके बाद आम लोगों के लिए उनका दरबार लगता है. जिसमें दो घंटे तक जनता की समस्याएं सुनते हैं. उसके बाद क्षेत्र का भ्रमण करते हैं. गढ़वाल विश्वविद्याल से विज्ञान में स्नातक करने वाले महंत योगी आदित्यनाथ वर्तमान में गारेखपुर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी का सांसद होने के साथ नाथ संपद्राय की गोरखपुर में स्थित सबसे बड़ी पीठ और मठ गोरखनाथ मंदिर के गोरक्षपीठाधीश्वर महंत हैं.
 
नाथ संप्रदाय की सबसे कठिन परंपरा हठयोग में दीक्षित और हठयोग स्वरूप एवं साधन, राजयोग- स्वरूप और साधना नामक किताब लिखने वाले योगी 22 साल की उम्र में 15 फरवरी 1994 को गोरखनाथ मंदिर के महंत और सांसद अवैधनाथ ने अपना उत्तराधिकारी चुना था. इसके चार साल महंत अवैधनाथ से जब राजनीति से सन्यास लिया तो उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में गोरखुपर लोकसभा की सीट योगी आदित्यनाथ के हवाले की.
 
मात्र 26 साल की उम्र में 12वीं लोकसभा के चुनाव साल 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गारेखपुर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर सांसद बने. इसके बाद लगातार 13वीं, 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा के चुनाव में गोरखुपर से सांसद चुने गए. महंत योगी आदित्यनाथ हिन्दु युवा वाहिनी नामक एक संगठन के संरक्षक हैं जिसका पूर्वांचल के गांवों से लेकर शहरों तक में बड़ा जनाधार है. इसके अलावा आदित्यनाथ विश्व हिन्दू महासंघ नामक एक अंतराष्ट्रीय संस्था के अध्यक्ष हैं.
 
इसके अलावा दर्जनों शैक्षिक और सामाजिक संस्थाओं के अध्यक्ष भी हैं. गोरखुपर में गोरखनाथ क्षेत्र में एक बड़ा चिकित्सालय भी वह चलाते हैं. अमेरिका, मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, कम्बोडिया और नेपाल की यात्रा कर चुके योगी नाथ परंपरा के सबसे बड़े संत हैं. गोरखनाथ मंदिर से योगी को दिलाई बड़ी पहचान गोरखनाथ मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है.
 
मकर संक्राति पर हर धर्म और वर्ग के लोग बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं. महंत दिग्विजयनाथ ने इस मंदिर को 52 एकड़ में फैलाया था. उन्हीं के समय गोरखनाथ मंदिर हिंदू राजनीति के महत्वपूर्ण केंद्र में बदला, जिसे बाद में महंत अवैद्यनाथ ने और आगे बढ़ाया. उनके निधन के बाद महंत योगी आदित्यनाथ इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

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