नई दिल्ली. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अब पार्टी के अंदर से बगावत के सुर फूटने लगे हैं. 2004 में अमेठी से लोकसभा का पहला चुनाव जीत कर आने वाले राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के बाद ही पार्टी के अंदर ज्यादातर फैसले लेते आए हैं.
कांग्रेस के कई नेता बयान देते रहते हैं कि राहुल गांधी को अब सोनिया की जगह कांग्रेस का अध्यक्ष बन जाना चाहिए.
लेकिन सवाल इस बात का उठता है कि अभी ऐसा क्या है जो उपाध्यक्ष रहते हुए राहुल नहीं कर पा रहे हैं.
पार्टी के ज्यादातर फैसले वही लेते हैं.
उनका अध्यक्ष बनना एक औपचारिकता मात्र ही है. चुनाव की रणनीति से लेकर पार्टी में पद बांटने से लेकर सारे फैसले वही करते हैं.
2013 में बने थे पार्टी के उपाध्यक्ष
राहुल गांधी को 2013 में पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया था. उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी और कई राज्यों में भी उसका शासन था.
लोकसभा का चुनाव भी उन्हीं के चेहरे पर ही लड़ा गया. आज हालात ये हैं कि केंद्र में उसके पास विपक्षी दल बनने के लायक भी सांसद नहीं हैं और राज्यों की सत्ता से भी बाहर हो चुकी है.
2009 में जब कांग्रेस दोबारा केंद्र की सत्ता में वापस आई थी तो कहा जाता था कि इस जीत के पीछे राहुल गांधी का ही चेहरा और रणनीति है. इस चुनाव में यूपी से कांग्रेस के 21 सांसद बनकर आए थे.
माना जा रहा था कि राहुल गांधी इस बार केंद्र में मंत्री जरूर बनेंगे लेकिन उन्होंने कोई पद नहीं लिया और पर्दे के पीछे से ही सरकार में काम करते रहे.
फिर शुरू हुआ हार का सिलसिला
2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ 21 विधायक चुने गए.
पंजाब में अकाली-बीजेपी गठबंधन ने सरकार बचा ली. इसके पीछे राहुल गांधी को जिम्मेदार बताया गया क्योंकि उन्होंने इशारे-इशारे में कैप्टन अमरिंदर सिंह को भावी सीएम बता दिया. पंजाब कांग्रेस में उस समय कैप्टन का काफी विरोध था.
गोवा में दिगंबर कामत की अगुवाई में चल रही कांग्रेस की सरकार हार गई.
गुजरात में भी लगातार तीसरी हार का सामना करना पड़ा.
2013 जब राहुल गांधी बनाए गए कांग्रेस उपाध्यक्ष
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में हार
नागालैंड विधानसभा चुनाव में हार
दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार
राजस्थान विधानसभा चुनाव में हार
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में हार
2014 में लोकसभा चुनाव में हार
हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार
झारखंड विधानसभा चुनाव में
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव में हार
2016 में असम में मिली हार
केरल के विधानसभा चुनाव में हार
बंगाल में लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को मिली हार
2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में हार
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में हार
इसके अलावा कांग्रेस को गुजरात, चंडीगढ़, महाराष्ट्र और उडीशा के निकाय चुनाव में भी भीषण हार का सामना करना पड़ गया.
जीत भी मिली कांग्रेस को
ऐसा नहीं है कि इन सालों में कांग्रेस को सिर्फ हार का ही सामना करना पड़ा है. 2012 के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड, मणिपुर और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी.
तो 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में शामिल होकर कांग्रेस को जीत मिली. पुडुचेरी में कांग्रेस को जीत मिली.