नई दिल्ली. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में पंजाब में कांग्रेस, यूपी-उत्तराखंड में बीजेपी, गोवा-मणिपुर में त्रिशंकु बहुमत आया है.
इन विधानसभा चुनाव मेें कई दिग्गजों की साख पर बट्टा लगा है. जनता ने जिस तरह से नतीजे दिए हैं उससे इन नेताओं को एक बार फिर से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि आखिर उनसे गलती कहां हो गई है.
1- कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष पद का सपना देख रहे राहुल गांधी के लिए यह हार बड़ा झटका है. कांग्रेस अमेठी और रायबरेली तक में हार गई है.
नोटबंदी के खिलाफ टीएमसी और वामदलों के साथ उनका अभियान और संसद से लेकर सड़क तक का प्रदर्शन भी पार्टी को कोई फायदा नहीं पहुंचा पाया है.
कांग्रेस के लिए यह हार 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली हार से भी ज्यादा गहरी है क्योंकि इन ढाई सालों में भी राहुल मोदी के माहौल बनाने में नाकामयाब रहे.
2-अखिलेश यादव
परिवार में झगड़े से निपट रहे अखिलेश यादव के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है कि वह फिर से मुलायम सिंह यादव को पार्टी अध्यक्ष बनाएं और चाचा शिवपाल की हर बात मानें.
अगर ऐसा हुआ तोे हो सकता है बगावत के समय उनके साथ खड़े सिपहसालार साथ छोड़ दें अगर ऐसा हुआ तो पार्टी के अंदर उनकी स्थिति कमजोर होगी.
दूसरी ओर से मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना यादव भी अपने बेटे प्रतीक को राजनीति में लाना चाहती हैं ऐसे में देखना होगा कि पार्टी को मिली इतनी करारी के बाद अखिलेश पहली चुनौती कहां से मिलती है.
3- बीएसपी सुप्रीमो मायावती
लोकसभा चुनाव में कोई भी सीट न जीत पाने वाली बीएसपी सुप्रीमो मायावती के सामने पार्टी के अस्तित्व बचाने का संकट खड़ा हो गया है.
98 मुस्लिमों को टिकट देना बीएसपी के लिए फायदेमंद साबित नहीं हुआ. मायावती का राज्यसभा में कार्यालय भी जल्द ही खत्म होने वाला है.
दोबारा वह तभी चुनी जा सकेंगी जब उनको सपा या फिर बीजेपी मदद करे ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि मायावती का साथ कौन देता है.
4- हरीश रावत
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत दोनों सीटों से चुनाव हार गए हैं. इस हार के साथ ही सवाल ये खड़ा हो गया कि क्या रावत का राजनीतिक करियर खत्म हो गया है.
क्योंकि उत्तराखंड का सीएम बनने से पहले वह यूपीए की सरकार में केंद्रीय मंत्री थे और वह राज्य का सीएम न बनाए जाने पर पार्टी आलाकमान से भी नाराज हो गए थे.
खबरें उनके पार्टी छोड़ने तक की आने लगीं. वह विजय बहुगुणा के खिलाफ पार्टी के अंदर बगावत को भी हवा देने में लगे थे.
जब उत्तराखंड में लोकसभा के चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई तो बहुगुणा की जगह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था.
5- प्रकाश सिंह बादल
पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल के बारे में कहा जाता है कि यह उनका आखिरी चुनाव हो सकता है.
10 साल से पंजाब की सत्ता में काबिज अकाली-बीजेपी गठबंधन की हार की भविष्यवाणी पहले ही हो चुकी थी.
बादल सरकार पर भ्रष्टाचार, भेदभाव के तगड़े आरोप थे. हालात ये हो गए कि जनता ने आम आदमी पार्टी से भी कम सीटें दी हैं.
6- लक्ष्मीकांत परसेकर
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत की तरह गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर भी चुनाव हार गए हैं.
राज्य में बीजेपी कांग्रेस से कुछ सीटों से पीछे भी रह गई है हालांकि गोवा में हार के पीछे सिर्फ पारसेकर ही जिम्मेदार नहीं है.
अगर राज्य में बीजेपी किसी तरह से सरकार बनाने में कामयाब हो जाती है तो परसेकर के लिए बड़ी राहत की बात होगी.
बीजेपी को यहां पर 13 सीटें, कांग्रेस को 17 सीटें और अन्य को 10 सीटें मिली हैं. सरकार बनाने के लिए 21 सीटें चाहिए.
नितिन गडकरी गोवा पहुुंच गए हैं और विधायकों की बैठक ले रहे हैं अगर बीजेपी वहां पर निर्दलीय का समर्थन पा लेती है तो सरकार बन सकती है.
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