लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए वोटों की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू हो चुकी है. दोपहर तक तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी कि यूपी की सत्ता पर किस पार्टी का कब्जा होगा. फिलहाल शुरुआती रुझान बीजेपी की जीत की ओर इशारा कर रहे हैं.
अब तक यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से 399 पर शुरुआती रुझान आ चुके हैं. शुरुआती रुझानों के अनुसार बीजेपी 285 सीटों पर, सपा-कांग्रेस गठबंधन 77 सीटों पर, बीएसपी 26 सीटों पर और अन्य 11 सीटों पर आगे चल रही हैं.
रुझानों में बीजेपी की जीत देखते हुए पार्टी के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है, कार्यकर्ता जश्न मना रहे हैं. यूपी में राहुल-अखिलेश की जोड़ी भी कोई खास जादू करते हुए नहीं दिखाई दे रही है.
यूपी में राहुल-अखिलेश के जोरदार चुनाव प्रचार के बावजूद भी बीजेपी को जोरदार बढ़त मिलती दिख रही है. बीजेपी की जीत के पीछे इन महत्वपूर्ण कारकों ने काम किया है…
सोशल इंजीनियरिंग
बीजेपी ने इस बार सोशल इंजीनियरिंग में काफी बदलाव किए हैं. बीजेपी ने यूपी में ‘नए दौर’ का बड़ा बदलाव किया है. ब्राहम्ण-बनियों की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी ने इस बार हर वर्ग पर फोकस किया.
पार्टी ने कुशवाहा समाज के केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बनाया, जिसकी वजह से पार्टी को कुशवाहा समाज के लोगों का साथ लेने में सहायता मिली. इसके अलावा अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल के जरिए पार्टी ने पटेल समाज का वोट खींचने की कोशिश की, साथ ही भारतीय समाज पार्टी (भासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभार के जरिए राजभार वोटों को पाने की कोशिश की.
गैर यादव और गैर जाटव पर जोर
उत्तर प्रदेश में बीएसपी का वोट बैंक जाटव और सपा का वोट बैंक यादव हैं. बीजेपी ने इस बात का ध्यान रखते हुए नया तोड़ निकाया और गैर जाटव और गैर यादव वर्ग के लोगों का वोट साधने की कोशिश की.
बीजेपी ने इस बात पर खास जोर दिया कि यादवों के अलावा अन्य पिछड़ी जातियां और गैर-जाटव दलितों का उन्हें साथ मिले. रुझानों को देखते हुए ऐसा प्रतीत भी हो रहा है कि बीजेपी का यह फॉर्मूला कामयाब हुआ.
RSS कार्यकर्ताओं ने किया जोरदार प्रचार
बीजेपी ने इस बार यूपी के रण में जीत पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था. बीजेपी के प्रचार के लिए आरएसएस को जिम्मेदारी दी गई थी. राज्य में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं ने पार्टी के लिए जोरदार चुनाव प्रचार किया. चुनाव शुरू होने से 10 महीने पहले से ही राज्य में आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने पार्टी के लिए काम करना शुरू कर दिया था. कार्यकर्ताओं ने प्रदेश में लोगों के घर-घर जाकर उनसे बात की थी.
हिंदुत्व फेक्टर प्रभावशाली रहा
उत्तर प्रदेश की राजनीति में शुरू से ही जाति और धर्म बहुत बड़ा फेक्टर रही है. बीजेपी ने इस बार भी हिंदुत्व का सहारा लिया. पीएम मोदी की ओर से दिए गए कब्रिस्तान और श्मशान वाले बयान ने एक तरह से हिंदुओं के वोट पार्टी की झोली में डालने का काम किया.
पीएम मोदी का आक्रामक प्रचार
सबसे बड़ा कारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किया गया चुनाव प्रचार है. पीएम मोदी ने खुद बीजेपी के प्रचार की बागडोर संभाली थी. बीजेपी ने यूपी में प्रचार के लिए ताबड़तोड़ रैलियां की, जनसभाएं की और रोड शो किए. रैलियों में ऐसी बातों पर जोर दिया जो सीधे ही जनता को प्रभावित करती हैं.
पीएम मोदी ने आखिरी चरण के चुनाव से पहले वाराणसी में तीन दिन का मेगा रोड शो किया, जिसने लोगों के वोट हासिल करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
नोटबंदी का सकारात्मकल प्रभाव
नोटबंदी के बाद कहा जा रहा था कि जनता इससे काफी परेशान हुई है, चुनाव में बीजेपी को इसकी वजह से करारी हार झेलनी पड़ सकती है, लेकिन नोटबंदी का जनता के ऊपर सकारात्मक प्रभाव रहा और इस फैसले को जनता ने जनहित का फैसला माना.