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मायावती का समर्थन लेने को तैयार अखिलेश, याद आया नारा- ‘मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में हो गए जय श्री राम’

लखनऊ.  यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले सीएम अखिलेश यादव का बीएसपी सुप्रीमो मायावती का समर्थन लेने से गुरेज न करने की बात पर कई ऐसी बातें याद आ रही हैं जो कभी सुर्खियां बन चुकी हैं.
सपा-बसपा के बीच 30 साल पहले हुआ समझौता भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हो चुका है. इस दौर में कुछ नारे और मायावती के साथ हुआ गेस्टकांड भारत के राजनीतिक इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे.
‘हवा में हो गए जय श्री राम’
90 के दौर में जब बीजेपी राम मंदिर आंदोलन के समय भगवा लहर पर सवार थी और पूरे देश में कांग्रेस पर भारी पड़ती जा रही थी तब उसे रोकने के लिए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और दलित राजनीति के सबसे बड़े पुरोधा, बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने हाथ मिलाया था और 1993 में यूपी विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी.
सपा-बसपा गठबंधन ने बीजेपी को मिलकर हरा दिया था. इस जीत में एक नारे ने भी बड़ी भूमिका भी निभाई थी. वो नारा था ‘मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में हो गए जय श्रीराम’
फिर नारा आया- जोर से बोले जय श्री राम
सपा-बसपा गठबंधन की सरकार ज्यादा नहीं चली और 2 जून 1995 को मायावती ने सपा सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी. यूपी में चल रही सरकार अल्पमत में आ गई. लखनऊ में सरकार बचाने की गतिधियां तेज थीं.
मायावती सरकारी गेस्ट हाउस में अपने विधायकों के साथ बैठक कर रहीं थीं तभी समाजवादी पार्टी के नेताओं ने उन पर हमला कर दिया और उनके साथ अभद्रता की गई. इस पूरी घटना को गेस्ट हाउस कांड के नाम से जाना जाता है.
मुलायम सिंह यादव की सरकार गिर गई थी इस बीच ‘हवा में हो गए जय श्री राम’ के जवाब में नया नारा लगा- ‘लड़े मुलायम-कांशीराम, जोर से बोलो जय श्री राम’.
2007 में मायावती का वो नारा जिसने मुलायम को हरा दिया
2007 के विधानसभा चुनाव में मायावती के एक नारे ने मुलामय के नेतृत्व में चल रही समाजवादी पार्टी की सरकार को पटखनी दे देती थी ये नारा था- ‘चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर’
तब से नहीं हुई मुलायम और मायावती के बीच बात
बताया जाता है कि गेस्टहाउस कांड के 30 साल बीत जाने के बाद आज तक मायावती और मुलायम सिंह यादव ने एक दूसरे से बातचीत नहीं की है. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या अखिलेश की ओर से समर्थन मांगने पर क्या मायावती सबकुछ भूलकर सपा के साथ हो जाएंगी.
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