लखनऊ : उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड और पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 मार्च को आ रहे हैं, लेकिन उससे पहले ही एग्जिट पोल आ चुका है. एग्जिट पोल के मुताबिक पंजाब को छोड़कर बाकी चार राज्यों में बीजेपी को बहुमत मिलता दिख रहा है.
यूपी चुनावी रण जीतने के लिए समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस का हाथ थामा था. राहुल गांधी और अखिलेश ने यूपी में जोरशोर से प्रचार भी किया था, फिर भी मोदी लहर के आगे दोनों धराशायी होते दिख रहे हैं.
इंडिया न्यूज/ इनखबर के एग्जिट पोल में बीजेपी को 185 सीटें मिल रही हैं जबकि सपा-कांग्रेस गठबंधन महज 120 सीटों पर सिमटती नजर आ रहा है. तीसरे नंबर पर बीएसपी 90 और अन्य को 8 सीटें मिल रही हैं.
धुआंधार प्रचार के बाद भी सपा-कांग्रेस की हालत खराब ही दिख रही है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि जिस अखिलेश यादव को यूपी की जनता ने पांच साल पहले सत्ता का ताज पहनाया था उसे इतनी जल्दी ही सत्ता से हटाने की तैयारी कैसे कर ली गई. जनता का मन जीतने के लिए राहुल-अखिलेश की जोड़ी भी फेल होती नजर आ रही है. आखिर क्या कारण हैं जिसकी वजह से यूपी में अखिलेश यादव की वापसी मुश्किल लग रही है….
मोदी का बोलबाला
एग्जिट पोल की माने तो इस बार यूपी में बीजेपी का वनवास खत्म होता दिख रहा है. साल 2014 में यूपी की जनता ने लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में एकतरफा वोट किया था और सबसे ज्यादा सांसद संसद में पहुंचाए थे. यूपी में राहुल-अखिलेश की चमक धुंधली होने की एक बड़ी वजह देश में मोदी का बोलबाला होना है. एग्जिट पोल से साफ जाहिर होता है कि देश में अभी भी मोदी का बोलबाला बरकरार है.
अखिलेश के ‘गधा’ वाले बयान हुआ फेल
यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश यादव ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए गधे वाला बयान दिया था, जिसे मोदी ने सकारात्मक रूप से इस्तेमाल कर लिया. अखिलेश ने कहा था कि अमिताभ बच्चन गुजरात के गधों के लिए विज्ञापन कर रहे हैं, जिस पर मोदी ने कहा कि वह गधों से हमेशा काम करते रहने की प्रेरणा लेते हैं.
इसका साफ मतलब यही है कि मोदी के खिलाफ की गई बयानबाजी अखिलेश को भारी पड़ गई. एक तरह से इस बयानबाजी से उन्होंने भले ही मोदी के लिए नकारात्मकता फैलाने की कोशिश की, लेकिन यह भी प्रचार का ही एक रूप होता है.
‘अखिलेश का काम’ हुआ फेल
अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार के लिए नारा दिया था काम बोलता है, लेकिन अखिलेश का यह नारा भी फेल होता दिख रहा है. जनता को शायद उनका काम पसंद नहीं आया जिस वजह से एग्जिट पोल में वह पीछे हो गए.
गठबंधन से कोई खास फायदा नहीं
अखिलेश यादव ने कांग्रेस से गठबंधन तो कर लिया, लेकिन इससे उन्हें कोई खास फायदा होता दिख नहीं रहा है. अखिलेश ने जिस वक्त कांग्रेस का हाथ थामा, उस वक्त कांग्रेस खुद डुबती नैया थी, जिसका फायदा अखिलेश को नहीं मिला. चुनाव से पहले ही किए गए गठबंधन से जनता के सामने अखिलेश ने अवसरवादी राजनीति का नया रूप रख दिया. शायद जनता को अखिलेश और राहुल का साथ पसंद नहीं आया.
परिवार के दंगल ने बिखेर दिए समर्थक
चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में मचे घमासान की वजह से भी अखिलेश यादव को नुकसान होता दिख रहा है. एग्जिट पोल बता रहे हैं कि पिता मुलायम सिंह यादव के खिलाफ जाने की वजह से मुलायम समर्थकों ने अखिलेश के खिलाफ नाराजगी चुनाव में वोट के सहारे जाहिर की.