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पीएम मोदी का गुजरात दौरा इन कारणों से है खास

नई दिल्ली: अपने दो दिन के गुजरात दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तीर से एक साथ कई निशाने साधने की कोशिश की है. एक ओर जहां मोदी ने यूपी के आखिरी चरण के चुनाव पर अपनी जोर आजमाइश को जारी रखते हुए इस प्रवास के जरिये यूपी के मतदाताओं को संकेत देने की कोशिश की है, वहीं गुजरात में अपनी खोई जमीन तलाश रही बीजेपी के लिए भी नए रास्तों का आगाज़ करने की कोशिश की है.
जहां तक गुजरात का सवाल है मोदी ने बीजेपी से निरंतर दूर होते जा रहे पाटीदार समाज को और महिला मतदाताओं को सांकेतिक तौर पर ये जताने की कोशिश की है कि बीजेपी अभी भी उनके प्रति कटिबद्ध है. आज सुबह जब मोदी सोमनाथ मंदिर के दर्शनों के लिए पहुंचे तब उनके साथ पहली बार गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल भी थे. साफ है कि मोदी पाटीदार समुदाय को ये सन्देश देना चाह रहे थे कि आज भी समाज के सबसे प्रतिष्ठित नेता का समर्थन उन्हें या बीजेपी को ही प्राप्त है.
गौरतलब है कि जब पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल अपना 6 महीने का वनवास पूरा करके गुजरात लौटा था. उस दिन उसने गांधीनगर में केशुभाई से मिलकर उनका आशीर्वाद लेने की इक्षा व्यक्त की थी लेकिन केशुभाई एक दिन पहले ही राजकोट चले गए थे और उसके बाद आज केशुभाई का मोदी के साथ नज़र आना पाटीदार समाज के लिए एक बड़ा संकेत है. इतना ही नहीं मोदी ने सोमनाथ ट्रस्ट के ट्रस्टियों की बैठक में केशुभाई का नाम साल 2017 के अद्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया और उन्हें सोमनाथ ट्रस्ट का अद्यक्ष बना दिया.
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ये पद केशुभाई पिछले दस साल से अपने पास रखे हुए थे और ऐसा माना जा रहा की इस बार अध्यक्ष को बदला जायेगा, लेकिन 2017 के चुनावी साल को देखते हुए केशुभाई को दुबारा अध्यक्ष बनाकर मोदी ने ये जताने की कोशिश की है कि वो आज भी पाटीदारो को कितना महत्त्व देते है , केशुभाई आज भी पाटीदारो के निर्विवादित नेता है.
इसके अलावा गांधीनगर में महिला सरपंचो का सम्मलेन भी राज्य में बीजेपी सरकार से नाराज़ हो रही उसकी कोर महिला वोटर्स को रिझाने की एक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. महिलाएं अब तक गुजरात में मोदी की सबसे कमिटेड वोटर के तौर पर देखि जाती रही है, लेकिन पिछले तीन सालों में महिलाएं बीजेपी से दूर जाती दिख रही है क्योंकि उन्हें लगता है कि आनंदी बेन के दो साल के कार्यकाल में महिलाओं के लिए उचित कदम नहीं उठाए गए और जिस तरह से विजय रूपानी के शाशन में आंगनवाड़ी में काम करने वाली महिलाओं के रोष ने एक विशाल स्वरुप ले लिया है और हाल ही में घटी नालिया गैंग रेप की घटना से रूपानी सरकार की जो किरकिरी हुई है जिसने पार्टी की चिंताएं और बढ़ा दी है.
ऐसे में महिला सरपंचो का ये सम्मलेन भी एक सोची समझी रणनीति के तहत ही आयोजित किया गया है क्योंकि मोदी ही एक मात्र ऐसे नेता है जो महिला वोटरों के साथ कनेक्ट कर सकते है. ऐसा माना जा रहा है आने वाले दिनों में , मोदी की गुजरात यात्राएं और बढ़ जायेगी क्योंकि 2017 में भी पार्टी ये चाहती है कि पूरा चुनाव प्रचार मोदी के इर्द-गिर्द ही केंद्रित हो.
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