पूर्वांचल में बीजेपी ने हर समीकरण साधने की है कोशिश

वाराणसी. यूपी विधानसभा चुनाव-2017 के आखिरी दो चरण बाकी रह गए हैं. इन चरणों का चुनाव पूर्वांचल में होगा.

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पूर्वांचल में बीजेपी ने हर समीकरण साधने की है कोशिश

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  • March 2, 2017 7:47 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
वाराणसी. यूपी विधानसभा चुनाव-2017 के आखिरी दो चरण बाकी रह गए हैं. इन चरणों का चुनाव पूर्वांचल में होगा.
इसमें पहला चरण 4 मार्च को है तो दूसरा 8 मार्च को वोट डाले जाएंगे. दोनों चरणों में कुल 89 सीटों पर वोट पर डाले जाएंगे.
इन सीटों के लिए बीजेपी पूरी ताकत लगा रही है. इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं कि खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह घर-घर जाकर प्रचार में उतर चुके है.
क्या रहे अब तक के चुनावी समीकरण
लोकसभा चुनाव में इस इलाके की 18 संसदीय सीटों में से 17 बीजेपी के खाते में गई थीं.आजमगढ़ सीट पर मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी.
बात करें 2012 के विधानसभा चुनाव की तो यहां पर बीजेपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है और मात्र 11 सीटें उसके हिस्से में आई थीं.
क्या कहते हैं बीजेपी के रणनीतिकार
बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि अगर इन दो चरणों में बीजेपी पीछे रह गई तो यूपी की सत्ता का ख्वाब कभी पूरा नहीं होगा.
यही वजह है कि पूर्वांचल में पीएम मोदी की वाराणसी संसदीय सीट तक पर केंद्रीय मंत्रियों का जमावड़ा है और हर तरह के समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है.
बागियों से है खतरा
बीजेपी के नेताओं के मन में शंका बागियों को लेकर भी है जो टिकट न मिलने पर पार्टी के खिलाफ हो गए हैं.
महाराष्ट्र को है भुनाने तैयारी
कुछ लोगों का कहना है कि मुंबई निकाय चुनाव सहित पूरे महाराष्ट्र के स्थानीय चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद से स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ गया है.
इतना ही नहीं कुछ कार्यकर्ताओं की टीम को महाराष्ट्र से भी भेजा गया है ताकि वोटरों को यहां मिली जीत के बारे में समझाया जा सके. गौरतलब है कि पूर्वांचल से लाखों लोग महाराष्ट्र में रोजी-रोटी के लिए जाते हैं.
खतरे वाली बात
लेकिन बीजेपी के लिए सबसे खतरे वाली बात यह है कि केंद्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल ने ही अपने प्रत्याशी बीजेपी के खिलाफ उतारे हैं.
अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं.अपना दल का कुर्मी वोट बैंक पर अच्छा-खासा प्रभाव है और लोकसभा में चुनाव में वह बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी.
पूर्वांचल को पीएम दे चुके हैं कई सौगातें
हालांकि बीजेपी को इस इलाके में उम्मीद है कि वह यहां चलाए गए विकास परियोजनाओं और पीएम मोदी के चेहरे के बल पर चुनाव जीत लेगी.
1 मई को बलिया में पीएम मोदी ने उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी जिसके तहत गरीब परिवारों को फ्री में एलपीजी गैस कनेक्शन दिए जा रहे हैं.
22 जुलाई को गोरखपुर में फर्टिलाइजर फैक्टरी की दोबारा शुरुआत, 700 बेड वाले एम्स के लिए 1 हजार करोड़ रुपए का आबंटन, कई सड़क परियोजनाओं का ऐलान, पर्यटन को बढ़ावा देने का ऐलान, छोटे शहरों के लिए एयरक्राफ्ट लैडिंग, वाराणसी में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन योजनाओं का पीएम मोदी शुरुआत या राशि का आबंटन कर चुके हैं.
इसके अलावा केंद्र सरकार की योजना ‘विकसित पूर्वांचल, समृद्ध भारत’ योजना के तहत कई परियोजनाओं के शुरू करने का ऐलान किया गया है.
2014 में ही पीएम ने बुनकरों की सुविधा के लिए ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर और क्राफ्ट म्यूजियम की आधारशिला, मऊ-गाजीपुर रेललाइन, गाजीपुर-बलिया ट्रैक का दोहरीकरण, गाजीपुर से कोलकाता के बीच नई शताब्दी ट्रेन, एक कार्गो कॉम्प्लेक्स जैसी योजनाएं भी शुरू की गई हैं.
पूर्वांचल के नेताओं को मिली है तरजीह
इतनी योजनाओं को शुरू करने के अलावा कई स्थानीय नेताओं को पार्टी और सरकारी पोस्टों में शामिल किया गया है.
जिसमें कई को मंत्री भी बनाया गया है. इनकी पोस्टिंग में भी स्थानीय जातिगत समीकरणों का पूरा ख्याल रखा गया है.
अब देखने वाली बात यह होगी कि बीजेपी ने जिस पूर्वांचल को साधने के लिए इतनी सारी कवायद की है उसका नतीजा क्या होगा.
क्योंकि पूर्वांचल अभी सपा को कभी बीएसपी का भी गढ़ रह चुका है और दोनों ही पार्टियों ने इस बार सभी समीकरणों को साधते हुए टिकटें बांटी हैं.

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