मुलायम को ‘साइकिल’ गिफ्ट करने वाला शख्स आज कर रहा है हाथी की सवारी

समाजवादी पार्टी में जिस साइकिल को लेकर घमासान मचा था, जिस साइकिल को लेकर बाप-बेटे आमने-सामने आ गए थे, उस साइकिल सिंबल को मुलायम सिंह यादव को उनके एक दोस्त ने गिफ्ट किया था.

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मुलायम को ‘साइकिल’ गिफ्ट करने वाला शख्स आज कर रहा है हाथी की सवारी

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  • March 1, 2017 5:10 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
देवरिया : समाजवादी पार्टी में जिस साइकिल को लेकर घमासान मचा था, जिस साइकिल को लेकर बाप-बेटे आमने-सामने आ गए थे, उस साइकिल सिंबल को मुलायम सिंह यादव को उनके एक दोस्त ने गिफ्ट किया था.
 
जी हां, मुलायम को उनके दोस्त देवरिया जिले के स्वामी नाथ यादव ने साइकिल सिंबल दिया था. साल 1989 में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ने वाले स्वामी ने साइकिल सिंबल पर ही चुनाव लड़ा था और जीते भी थे. यह बात समाजवादी पार्टी के गठन से पहले की है.
 
बाद में मुलायम और स्वामी की दोस्ती हो जाने के बाद समाजवादी पार्टी का सिंबल साइकिल ही रखा गया. सदरी और कुर्ता पहनने वाले स्वामी ने मुलायम की सरकार बनने में काफी अहम भूमिका अदा की थी. 
 
मुलायम की पार्टी जनता दल ने चुनाव में 425 में से 208 सीटें जीती थी, लेकिन सरकार बनाने के लिए ज्यादा सीटों की जरूरत थी. तब स्वामी नाथ ने ही 40 विधायकों को सरकार का समर्थन करने के लिए राजी किया था. समर्थन के बाद सरकार बनी, हालांकि वह दो साल ही चली, लेकिन स्वामी का जनता पार्टी में काफी नाम हो गया था.
 
 
साल 1992 में जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई तब तक स्वामी से उनकी दोस्ती काफी गहरी हो गई थी, जिसके बाद मुलायम ने चुनाव आयोग से पार्टी सिंबल के रूप में साइकिल की मांग की. स्वामी ने एसपी के टिकट पर साल 1993 में चुनाव लड़ा और जीत गए.
 
मुलायम से दोस्ती गहरी होने के बावजूद स्वामी अब बहुजन समाज पार्टी का समर्थन करते हैं. उनकी लोकप्रियता आज भी वैसी ही है. उनका कहना है कि वह और साइकिल दोनों ही सपा के लिए लकी रहे, उनके राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाने के लिए वह मुलायम के आभारी हैं.
 
 
उनका कहना है, ‘मुलायम का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरे राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाने में मेरी मदद की, लेकिन उनकी पार्टी गरीबों को सम्मान नहीं देती. मैं अखिलेश को भी धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने पूर्व विधायकों की पेंशन बढ़ाकर 15,000 रुपये से 29,000 रुपये कर दी. मेरी राह अब सपा अलग हो चुकी है. मैं आज भी ग्रामीण लोगों की सेवा करना चाहता हूं इसलिए बीएसपी का समर्थन कर रहा हूं.’
 

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