लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान जारी है. सीएम अखिलेश यादव ने सपा-कांग्रेस गठबंधन की 300 सीटों आने का दावा किया है. वहीं बीएसपी सुप्रीमो ने मायावती ने भी 300 से ज्यादा सीटें आने की उम्मीद जता डाली दी है.
इस चुनाव में मुस्लिमों के धार्मिक नेताओं की ओर से अपील का भी असर जरूर आंका जाएगा. दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही
इमाम, मौलाना कल्बे आजाद, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने बीएसपी के लिए मतदान करने की अपील की है.
माना जा रहा है कि जो भी मुस्लिम मतदाता अभी तक बीएसपी से नाराज चल रहा था वो भी इन अपीलों के बाद प्रभावित हो सकता है.
लेकिन चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि ये फतवे भले ही सीधे-सीधे बीजेपी के खिलाफ हों लेकिन गुणा-गणित के हिसाब से देखा जाए तो इनका नतीजा बिलकुल उल्टा हो सकता है.
क्योंकि अगर खिलाफ पड़ने वाला वोट अगर बंट गया तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को ही हो सकता है. दूसरे चरण में के चुनाव के पर विश्लेषकों कहना है कि इसमें बीजेपी को फायदा होता दिख रहा है.
वहीं बात करें पहले चरण के चुनाव की तो बीजेपी के पक्ष में तो नही हैं लेकिन बाकी पार्टियों के लिए भी कुछ भी कह पाना कठिन है.पहले चरण के मतदान से पहले बीजेपी काफी नर्वस थी.
पार्टी नेताओं को डर था कि नोटबंदी के बाद से उपजे हालात कहीं व्यापारी वोटबैंक छिटक न जाए लेकिन मतदान में इसका असर नदारद था.
इसकी बड़ी वजह थी, एक तो आरएलडी का सपा-कांग्रेस गठबंधन से दूरी बना लेना और इसी का फायदा उठाकर बीजेपी के स्टार प्रचारकों ने वोटों का धुव्रीकरण करने की पूरी कोशिश की.
इतना नहीं चुनाव से एक हफ्ते पहले बीजेपी के नेताओं ने ‘एंटी रोमियो स्क्वाएड’ बनाने की बात जोरशोर से करना शुरू कर दिया. यह मुद्दा ‘लव जिहाद’ से जुड़ा था.
पहले चरण में जिन सीटों पर मतदान होना था वहां पर यह मामला सबसे बड़ा है. हालांकि यह तो नतीजा ही तय करेगा कि बीजेपी इस मुद्दे को कितना भुना पाई है.
दूसरी ओर फतवों के अलावा बीएसपी और सपा-कांग्रेस गठबंधन ने इतनी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशीस उतारे हैं कि हिंदू वोटर काफी कंन्फ्यूज होते नजर आए. बताया जा रहा है कि जाटों ने आखिरी में बीजेपी को ही वोट डाला है.
हालांकि इसमें कुछ आरएलडी के पक्ष में भी गए हैं लेकिन यह बीजेपी को उतना नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. पहले चरण के मतदान में अभी तक जो संकेत मिल पाए हैं उससे लग रहा है कि मुस्लिमों ने बड़ी संख्या में बीएसपी को वोट नहीं डाला है यह वोटबैंक सपा-कांग्रेस गठबंधन में भी जाता दिखाई दे रहा है.
कुल मिलाकर इस चुनाव के नतीजे यह भी तय करेंगी कि हमेशा वोटबैंक समझे गए मुस्लिम वोटर फतवों की कितनी बात मानते हैं.