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आरएसएस के ‘गुरू जी’ की जयंती पर राजनाथ सिंह ने दी श्रद्धांजलि

नागपुर.  आज आरएसएस के दूसरे सर संघचालक माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर का जन्मदिन है.डॉ. हेडगेवार के बाद संघ की कमान उन्होंने ही संभाली थी. आरएसएस कार्यकर्ताओं के बीच उनको ‘गुरू जी’ के नाम से जाना जाता था.
आज भी संघ में वह इसी नाम से जाने जाते हैं. गोलवलकर के बारे में लोगों का कहना है कि वह आरएसएस के इतिहास के सबसे ज्यादा विवादित संघ प्रमुख रहे हैं.
कुछ लोग उनका नाम गांधी जी की हत्या से भी जोड़ते हैं. इतना नहीं जब 30 जनवरी को जब गांधी जी को गोली मारी गई थी तो केंद्र सरकार ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा गोलवलकर को गिरफ्तार कर लिया था.
कहां हुआ था जन्म
गोलवलकर का जन्म 19 फरवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था.  उनके पिता डाक विभाग में नौकरी करते थे बाद में वह अध्यापक बन गए.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हुई एंट्री
गोलवलकर ने 1926 में काशी विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया. वह यहां बीएससी के छात्र थे. यह वही दौर था जब आरएसएस धीरे-धीरेे  पूरे देश में अपने पैर पसार था.
विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान गोलवलकर ने स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस की लिखीं किताबों के साथ-साथ संस्कृत के महाकाव्यों, वेदों  का अध्ययन किया.
बने संघ के मुखिया
1940 में डॉ. हेडगेवार के निधन के बाद वह  संघ के दूसरे सर संघचालक बने और इस संगठन के विस्तार के लिए काम करने लगे. हालांकि इस दौरान उनका नाम कई विवादों में घिरता चला गया. जिसमें हिंदू-मुस्लिम दंगा, बंटवारे के विषय में कांग्रेस के नेताओं से विवाद जैसे मुख्य हैं.

बंटवारे का किया था विरोध
गोलवलकर आजादी के बाद देश के बंटवारे के विरोध में थे और इस समय वह पूरे-पूरे  देश में घूम-घूमकर सबको इसके विरोध में खड़ा कर रहे थे. लेकिन उनकी मेहनत काम न आई.  पूरे देश में फैल रहे तनाव की वजह से आखिरी में देश का बंटवारा कर दिया गया.
गांधी जी की हत्या
महात्मा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में संघ पर प्रतिबंध लगा दिया था और गोलवलकर को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि बाद में सरकार को संघ से प्रतिबंध हटाना पड़ा क्योंकि जांच में उस मामले में संघ के किसी भी कार्यकर्ता का नाम सामने नहीं आया था. हालांकि आज तक इस मुद्दे का सारा सच आना बाकी है. 
नेहरू जी ने भी थी स्वीकारी संघ की ताकत
चीन के साथ युद्ध के समय भारतीय सैनिकों की मदद के लिए गोलवलकर ने आरएसएस के कार्यकर्ताओं को लगा दिया. संघ ने इस युद्ध में सेना का मनोबल बढ़ाया और जरूरी सामान को पहुंचाने का भी जिम्मा ले रखा था. 
आरएसएस की ऐसी कार्यशैली को देखकर 1963 में गणतंत्र दिवस के पथ संचलन में संघ के स्वयंसेवकों को भाग लेने के लिए नेहरू जी ने न्यौता भेजा था.
उस कार्यक्रम में सेना की तरह संघ के हजारों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. संघ को 26 जनवरी के कार्यक्रम में बुलाने के मुद्दे पर देेश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी से कुछ कांग्रेसी नेताओं के उस समय मतभेद भी हो गए थे. 
‘बंच ऑफ थाट’ से भी हुआ विवाद
गोलवलकर कि लिखी किताब बंच ऑफ थाट सबसे ज्यादा विवादों का केंद्र बनी. जिसमें उन्होंने जातिवाद, हिंदुत्व पर ऐसी बातें लिखी हैं जिन आज भी बहस जारी है. हालांकि आरएसएस के नेता इस किताब में लिखीं बातों का गलत अर्थ निकालने की तोहमत मढ़ते रहते हैं.
राजनाथ सिंह ने दी श्रद्धांजलि
आरएसएस के कार्यकर्ता रहे देश के वर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरू जी के जन्मदिन पर ट्वीटर पर श्रद्धांजलि दी है. 

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