मुंबई: महाराष्ट्र में शिवसेना ने बीजेपी को धमकी दी है कि उसके राज-काज से नाखुश जनता मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार है. इस धमकी का जवाब नितिन गडकरी ने दिया है. इंडिया न्यूज़ से खास बातचीत में गडकरी ने दावा किया कि शिवसेना के हटने से फड़नवीस सरकार को कोई खतरा नहीं है. बीएमसी और महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में गठबंधन टूटने के बाद से ही बीजेपी और शिवसेना के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है.
गडकरी का दावा है कि शिवसेना महाराष्ट्र सरकार से समर्थन वापल लेती है तो भी फड़नवीस सरकार को खतरा नहीं है. लेकिन गडकरी ने इस पर पत्ते नहीं खोले कि बिना शर्त समर्थन देने वाली एनसीपी से बीजेपी समर्थन लेगी या नहीं ?
शिवसेना और बीजेपी ने महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव भी अलग-अलग लड़ा था. विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं. फिलहाल बीजेपी के 122, शिवसेना के 63, और कांग्रेस के 42 विधायक हैं. वहीं, एनसीपी की 41 और अन्य के पास 20 सीटें हैं. 288 सीटों की विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 है. अगर शिवसेना समर्थन वापस ले लेती है तो बीजेपी के पास 122 सीटें ही बचेंगी जो से 23 कम है. ऐसे में बीजेपी को सत्ता बचाने के लिए एनसीपी की मदद चाहिए होगी. एनसीपी के साथ आने से बीजेपी को 163 विधायकों का समर्थन मिल जाएगा.
अंदर की बात ये है कि शिवसेना और बीजेपी के बीच एक-दूसरे को राजनीतिक धौंस देने का खेल चल रहा है. शिवसेना महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी का बड़ा भाई होने का रुतबा वापस पाना चाहती है और बीजेपी को लग रहा है कि शिवसेना पहले जैसी मजबूत नहीं है, इसलिए उसे हमेशा के लिए जूनियर पार्टनर बनाने का यही सही मौका है. दोनों को एक-दूसरे की ज़रूरत का अंदाज़ा है, फिर भी सिर्फ घुड़की देने के लिए दोनों पार्टियों के नेता अपनी अलग राह चुनने की बात कह रहे हैं.