संभल : यूपी के संभल जिले की चारों सीटें वर्तमान में समाजवादी पार्टी के पास हैं. संभल विधानसभा में करीब 1,20,000 मुस्लिम और 55 हजार दलित वोटर हैं. मुस्लिम वोटरों पर सपा के इकबाल महमूद व तुर्क नेता डॉ. शफीकुर्रहमान वर्क की खासी मजबूत पकड़ बतायी जा रही है.
इस जिले से एशिया की सबसे बड़ी मैंथा मंडी संचालित होती है तो वहीं अनेकों देशों में सम्भल की पहचान यहां बने हड्डी-सींग के कलात्मक आईटमों से भी है. इन सबके बावजूद यहां न तो कोई बड़ी फैक्ट्री है और न ही कोई उद्योग-धन्धा, जिसके चलते युवक दिल्ली व अन्य राज्यों में पलायन को मजबूर हैं.
संभल रेलवे स्टेशन पर दिन में मात्र एक बार ही मुरादाबाद से पैसेंजर ट्रेन आती है और वहीं लौट कर मुरादाबाद जाती है. बीजेपी इस बार के चुनाव में यहां विकास के मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है.
बदायूं पर कायम रहेगा यादव कुनबे का जलवा?
लंबे समय से मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार पर भरोसा करने वाले जिला बदायूं में भी बीजेपी को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है. इस जिले में विधानसभा की छह सीटें हैं. इसमें सहसवान, शेखूपुर, बिसौली और बदायूं सदर सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है. जबकि बिल्सी और दातागंज सीट पर बसपा का कब्जा है.
लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बाद भी बीजेपी इस सीट पर सपा के धर्मेंद्र यादव को नहीं हरा पाई थे. कुछ दिन पहले स्थानीय विधायक आबिद रजा खां और धर्मेंद्र यादव के बीच हुआ झगड़ा भी सुलझ गया है. ऐसे में इस जिले में बीजेपी के लिए राह मुश्किल दिख रही है.
इलाके के लोगों का कहना है कि बदायूं जिले में सड़कों और बिजली की स्थिति तो सुधरी है, लेकिन बेरोजगारी चरम पर है. बीजेपी अपनी रैलियों में इसी मद्दे को हवा देने में जुटी है. इस जिले में यादव वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं.