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इन 7 वजहों से टाला गया है प्रियंका का रायबरेली-अमेठी में शुरू होने वाला प्रचार ?

रायबरेली/अमेठी- यूपी में कांग्रेस के गढ़ रायबरेली और अमेठी में 14 फरवरी से शुरू होने वाला प्रियंका गांधी वाड्रा का चुनाव प्रचार का कार्यक्रम टाल दिया गया है. दोनों जिलों के कांग्रेस कार्यकर्ता काफी दिनों से प्रियंका गांधी वाड्रा का इंतजार कर रहे थे.
दौरा किस वजह से टाला गया है इसकी कोई ठोस जानकारी अभी नहीं मिल पाई है. गौरतलब है कि रायबरेली उनकी मां और कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र तो अमेठी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र है.
इन दोनों संसदीय क्षेत्रों की सीटों को लेकर कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन का पेंच फंस गया था. हालांकि बाद में सपा ने यहां से कांग्रेस के लिए 10 सीटें छोड़ दी थी. माना जा रहा है कि प्रियंका का दौरा टालने के पीछे यहां का सियासी समीकरण हो सकता है.
तो क्या इन वजहों से टाला गया है दौरा ?
1-  गठबंधन के चलते यहां पर दोनों जिलों को मिलाकर कांग्रेस को 10 सीटें मिली हैं. लेकिन कई सीटों पर सपा के निर्वतमान अब भी मैदान में हैं. वो या तो निर्दलीय खड़े हो गए हैं या फिर आरएलडी के टिकट पर ताल ठोंक रहे हैं जिसकी वजह से सपा-कांग्रेस के गठबंधन का समीकरण बिगड़ा नजर आ रहा है. 2012 के चुनाव में सपा ने यहां से 7 सीटें जीती थी.
2- रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा सीट से सपा के स्थानीय विधायक और अखिलेश सरकार में मंत्री रहे मनोज पांडेय कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर वह सबसे मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं. जिसकी वजह से असमंजस की स्थिति है.
3- इसी तरह अखिलेश सरकार के विवादित मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति भी कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं उनकी सीट अमेठी में आती है.
4- गायत्री प्रसाद प्रजापति और मनोज पांडेय की कोशिश है कि मुलायम सिंह यादव उनके पक्ष में रैली करने आ जाए. कांग्रेस प्रबंधन को इसी बात का चिंता है कि कहीं मुलायम उनके गढ़ में रैली करने न पहुंच जाएं.
5- इसके अलावा कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट रायबरेली सदर की है. जहां से बाहुबली नेता अखिलेश सिंह की बेटी अदिति चुनाव लड़ रही हैं. अगर कांग्रेस यहां से जीतती है तो पूरा श्रेय अखिलेश सिंह को ही जाएगा न कि प्रियंका गांधी को. यह बात जगजाहिर है क्योंकि सदर से अखिलेश सिंह आज तक चुनाव नहीं हारे हैं भले ही वह कांग्रेस के खिलाफ क्यों न लड़े हों.
6- 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने यहां पर जमकर प्रचार किया था. लेकिन कांग्रेस को यहां पर 2 ही सीटें जीत पाई थी.
7- माना जा रहा है कि स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने आलकमान को संदेश भेजा है कि सपा के बागी नेताओं के मान जाने तक प्रियंका को चुनाव प्रचार के लिए न ही भेजा जाए तो ज्यादा अच्छा होगा क्योंकि 2019 में वह ही कांग्रेस का ट्रंप कार्ड हो सकती हैं इस लिहाज से उनकी छवि को धक्का नहीं पहुंचना चाहिए.
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