लखनऊ: उत्तर प्रदेश चुनाव में वैसे तो हर पार्टी ने अपने-अपने घोषणा पत्र में कई मुद्दे उठाए हैं. विकास के दावे किए हैं, लेकिन चुनाव की तारीख करीब आते ही मुद्दों की जगह नेताओं की बदजुबानी ने ले ली है.
उत्तर प्रदेश में मुद्दे पीछे छूट गए हैं. नेताओं की ज़ुबान ज़हर उगल रही है. वैसे ये कोई नई बात नहीं है.
भले ही प्रचार की शुरुआत में विकास और रोजगार जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ने की बड़ी-बड़ी बातें हो रही थीं. लेकिन सच यही है कि जीत के लिए नेता आखिरकार अपने असली रंग में आ गए हैं.
आजम ने क्या कहा था ?
अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आज़म खान ने मेरठ में पीएम मोदी पर पर निशाना साधते हुए कहा था कि बादशाह पिल्ला कहा है आपने.
उमा भारती ने क्या कहा था ?
वहीं उमा भारती ने जिन्होंने ऐसे दुष्कर्म किए होते हैं… इनको वहीं लड़कियों के सामने, लड़कियों-महिलाओं के सामने उल्टा लटका-लटका कर मार-मारकर चमड़ी उधेड़ कर फिर मांस में नमक और मिर्च भर देना चाहिए.
समाजवादी पार्टी का नारा है – काम बोलता है. लेकिन समाजवादी पार्टी हो या बीजेपी, किसी को भी काम के दम पर चुनाव जीतने का भरोसा नहीं है. अगर होता तो वो बयानबाजी के बजाए अपना काम गिनाते. केंद्र की बात करें तो पीएम के गढ़ वाराणसी में 21 हजार करोड़ की योजनाएं चलाई जा रही हैं.
राजनाथ सिंह ने अपनी लखनऊ सीट को कई हजार करोड़ का आउटर रिंग रोड गिफ्ट किया है. उन्होंने रेलवे स्टेशन को भी चमकाया है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए 11 हजार मकान भी बनाए जा रहे हैं. दूसरी तरफ अखिलेश यादव ने 75 हजार करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया है. 27 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों का वेतन केंद्र सरकार के बराबर करने को मंजूरी दी है. छात्रों को लैपटॉप बांटा है और स्मार्टफोन देने का वादा किया है.
अंदर की बात ये है कि पहले दौर का प्रचार खत्म होते होते सभी पार्टियों को समझ में आ गया कि वोटों का ध्रुवीकरण भावनाएं भड़का कर ही हो सकता है. कोई बड़ा मुद्दा या कोई लहर यूपी में वोटरों के बीच पैदा नहीं हुई. इसलिए बीजेपी से लेकर कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, आरएलडी सबने अपने-अपने आधार वोट बैंक को लुभाने वाली बातें शुरु कर दी हैं.