देहरादून : उत्तराखंड में 15 फरवरी को विधानसभा चुनाव होना है. पिछले साल संवैधानिक संकट के वजह से खबरों में रहे इस पहाड़ी राज्य का महत्व बीजेपी और कांग्रेस दोनो के लिए है.
राज्य में अभी कांग्रेस की सरकार है. बीजेपी सत्ता हासिल करने की कोशिश में पूरा जोर लगा रही है. वहीं कांग्रेस भी दोबारा सत्ता में आने के लिए जी जान से जुटी है.
दो मुख्य पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी के अलावा राज्य में सपा और बसपा की भी मौजूदगी है. सपा और बसपा राज्य के चुनावों में कोई बड़ा असर नहीं डाल पाएंगी.
इन दो पार्टियों का राज्य में बहुत कम जनाधार है. वहीं उत्तराखंड क्रांति दल राज्य के बनने का श्रेय लेती है लेकिन यह पार्टी भी वोटरों से कम ही जुड़ पाई है.
इन चेहरों के आसपास घूमती है उत्तराखंड की सियासत
हरीश रावत, कांग्रेस
हरीश रावत इस समय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हैं. पांच बार संसद सदस्य रहे रावत अल्मोड़ा के मोहानारी गांव के रहने वाले हैं. रावत ने लखनऊ विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है.
विजय बहुगुणा- बीजेपी
विजय बहुगुणा 2012 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने. बहुगुणा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हैं. वे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे हैं.
बी सी खंडूरी
बी सी खंडूरी 2007-2009 और 2011-2012 तक दो बार उत्तराखंड के सीएम बने. वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे थे.
भगत सिंह कोश्यारी
भगत सिंह कोश्यारी 1997 में उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य बने. 2000 में वे नए राज्य उत्तराखंड में मंत्री बने. 2001 में वे राज्य के मुख्यमंत्री बने.
इंदिरा हृदयेश
एनडी तिवारी के शासनकाल से करियर की शुरुआत करने वाली इंदिरा हृदयेश को आयरन लेडी के नाम से जाना जाता है. हल्द्वानी क्षेत्र में उनका अच्छा जनाधार है. 2012 चुनावों में उन्होंने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की थी.
सतपाल महाराज
सलपाल महाराज 2009 में लोकसभा के लिए चुने गए. इससे पहले वह कांग्रेस के कद्दवार नेता रह चुके हैं. उत्तराखंड में सुधारों का श्रेय उन्हें जाता है.
अजय भट्ट
अजय भट्ट विधानसभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ भाजपा नेता हैं अजय भट्ट उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं. उन्हें 2017 विधानसभा चुनावों के लिए हाल ही में राज्य इकाई का मुखिया चुना गया है.