नई दिल्ली. बीजेपी के इस समय सबसे वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एक विषय पर बातचीत करने का फैसला किया है.
अगर आडवाणी इस बातचीत में सोनिया और मनमोहन सिंह को मनाने में कामयाब हो जाते हैं तो मोदी सरकार की एक बड़ी मुसीबत कम हो जाएगी.
दरअसल मामला ‘शत्रु संपत्ति एक्ट’ को लेकर है. इस कानून को बनाने के लिए मोदी सरकार को पूरी कोशिश कर रही है लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने के सरकार कारण इस बिल को पास नहीं करा पा रही है. हालांकि लोकसभा में इस बिल को पास किया जा चुका है.
शत्रु संपत्ति एक्ट को लेकर पांच बार अध्यादेश ला चुकी है. इस मामले पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, वित्त मंत्री अरुण जेटली और संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने बुधवार को एक बैठक भी की.
इसके बाद लाल कृष्ण आडवाणी ने तीनों के पास जाकर प्रस्ताव रखा कि यह मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और वह खुद इसको लेकर सोनिया और मनमोहन सिंह मिलकर पूछेंगे कि आखिर इस अध्यादेश को कानून क्यों नहीं बनने दिया जा रहा है.
आपको बता दें कि एक ही अध्यादेश पर पांच बार साइन करने पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी नाराजगी जता चुके हैं. वहीं चर्चा
आडवाणी के अचानक इस तरह से एक्टिव होने की भी चर्चा है. मार्गदर्शक मंडल में शामिल होने के बाद पहली बार वह सरकार से जुड़े किसी मामले में रुचि ले रहे हैं.
इससे पहले जब संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया था तो उन्होंने बयान दिया था कि मन करता है कि लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दूं.
क्या है शत्रु संपत्ति ?
ऐसी संपत्ति जिस पर किसी शत्रु देश में रहने वाले शख्स, फर्म या संस्था का हक होता है. इनकी देखरेख कानून के तहत नियुक्त कस्टोडियन करता है उसका ऑफिस केंद्र सरकार के अधीन होता है. इस कानून को 1968 में बनाया गया था. भारत में शत्रु संपत्ति से जुड़े कई मामले हैं.
शत्रु संपत्ति का सबसे ज्यादा चर्चित मामला
जिसमें यूपी के राजा महुदाबाद का मामला सबसे ज्यादा चर्चित है. इस राजा के पास काफी जमीनें हैं. बंटवारे के बाद राजा भारत छोड़कर इराक और पाकिस्तान में बस गया लेकिन कुछ सालों बाद उनका बेटा और पत्नी वापस आ गए और सरकार से अपनी जमीन की मांग करने लगे.