देहरादून. देवभूमि कहे जाने वाले राज्य उत्तराखंड में भी सियासत ‘पवित्रता’ से कोसों दूर है. बाकी राज्यों की तरह यहां भी ऐसे उम्मीदवारों का बोलबाला जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
आपको जानकार हैरानी होगी कि 70 सीटों वाली विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव में इस बार ऐसे प्रत्याशियों की संख्या दोगुनी हो गई है.
2012 में 28 ऐसे प्रत्याशी थे जिनके खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज थे जबकि इस बार यह संख्या 54 हो गई है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म यानी एडीआर ने जो आंकड़े जारी किए हैं वह काफी चौंकाने वाले हैं.
जिस राज्य की जनता बिजली, पानी और सड़क जैसी समस्याओं से जूझ रही है वहां करोड़पति उम्मीदवार हर पार्टी के पास हैं. उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद इस राज्य के बारे एक कहावत मशहूर है कि पहाड़ का पानी और जवानी कभी उसके काम नहीं आते हैं.
हर चुनाव में वादे तो खूब किए जाते हैं. कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें बन चुकी हैं लेकिन सच्चाई है कि राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहे इस प्रदेश की जनता नेता हमेशा बेवफा ही साबित हुए.
10 ऐसे प्रत्याशी जिनके ऊपर दर्ज हैं सबसे ज्यादा अपराधिक मुकदमे
अरविंद पांडेय-बीजेपी- 12
सुभाष चौधरी-बसपा-8
सुमित-निर्दलीय-6
किशन भंडारी- निर्दलीय-4
समीर रतूड़ी-प्रजामंडल-4
रामसुख-निर्दलीय-04
सुधा पटवाल-निर्दलीय-03
दिनेश अग्रवाल-कांग्रेस-02
सूर्यकांत धस्माना- कांग्रेस-02
हरक सिंह रावत-बीजेपी-02
सबसे ज्यादा पैसेवाले उम्मीदवार
उत्तराखंड में इस बार 637 उम्मीदवार हैं जिसमें दो सौ उम्मीदवार करोड़पति हैं. 78 उम्मीदवारों ने आय का ब्यौरा नहीं दिया है.
रेखा आर्य-भाजपा- 12.70 करोड़ रू.
लक्ष्मी राणा- कांग्रेस-6.48 करोड़
गोदावरी थापली- कांग्रेस-5.87 करोड़
बृजरानी-निर्दलीय-5.51 करोड़
मनीषा-सपा-4.80 करोड़