इंफाल. मणिपुर में दो चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं. पहले 4 फिर 8 मार्च को मतदान होगा. 60 सीटों की विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 मार्च को आएंगे. मणिपुर कांग्रेस का गढ़ है. यहां पर प्रधानमंत्री मोदी के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की कड़ी परीक्षा होगी.
2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां धमाकेदार जीत मिली थी. इस चुनाव में कांग्रेस को 60 में से 42 सीटें मिली थीं और ओकरम इबोबी सिंह लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे.
लोकसभा चुनाव 2014 में भी जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी तो भी यहां की दोनों सीटों पर कांग्रेस ही जीती थी. इसकी पीछे राज्य के सीएम इबोबी का ही करिश्मा था.
लेकिन असम में मिली जीत के बाद से इस बार बीजेपी को यहां काफी उम्मीदें हैं. विश्लेषकों का मानना है कि असम के नतीजे इस बार मणिपुर में असर डाल सकते हैं.
इसके अलावा राज्य में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम यानी एएफएसपीए के खिलाफ 16 सालों तक अनशन पर रहीं इरोम शर्मिला की पार्टी ‘पीपुल्स रिसर्जेंस एंड जस्टिस अलायंस (प्रजा) पर भी नजर है.
उन्होंने 2016 में 16 सालों से चल रहे अनशन को तोड़ राजनीति में आने का फैसला किया था. शर्मिला ने उस समय कहा था ‘राज्य में पिछले 15 सालों से एएफएसपीए के खिलाफ सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए हैं. अब मैं राज्य की सीएम बनकर इस कानून को खत्म करुंगी’.
इतना ही नहीं शर्मिला इरोम ने मुख्यमंत्री इबोबी के खिलाफ उनकी सीट थुंबाल से ही नामांकन किया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि उनका यह फैसला मास्टरस्ट्रोक साबित होगा या फिर एक बड़ी राजनीतिक भूल.
क्या है मणिपुर की राजनीतिक गणित
लोकसभा सीटें- 2
विधानसभा सीटें- 60
सत्ताधारी पार्टी- कांग्रेस
मुख्य विपक्षी दल- तृणमूल कांग्रेस
मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह
राज्यपाल- डॉ. नजप हेपतुल्ला
राजनीतिक दल
कांग्रेस
बीजेपी
राष्ट्रीय जनता दल
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
डीआरपीपी
मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी
ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस
एमपीपी
नागा पिपुल्स फ्रंट
एमएनसी
फेडरल पार्टी ऑफ मणिपुर
नेशनल पीपुल्स पार्टी