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पंजाब और गोवा में रिकॉर्ड मतदान के क्या हैं मायने, गुस्सा या सरकार को समर्थन ?

चंडीगढ़/पणजी. पंजाब में 70 फीसदी और गोवा में 85 फीसदी रिकॉ़र्ड मतदान हुआ है. वोटरों की इतनी बड़ी मात्रा में मतदान में हिस्सा लेने का सामान्य मतलब यही निकाला जाता है कि मौजूदा सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा था.

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  • February 4, 2017 1:40 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago

चंडीगढ़/पणजी. पंजाब में 70 फीसदी और गोवा में 85 फीसदी रिकॉ़र्ड मतदान हुआ है. वोटरों की इतनी बड़ी मात्रा में मतदान में हिस्सा लेने का सामान्य मतलब यही निकाला जाता है कि मौजूदा सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा था.
लेकिन ऐसा नहीं है. 2009 के लोकसभा चुनाव में भी लोगों ने जमकर वोट डाला था उस समय भी इसको अच्छा मतदान कहा गया था और नतीजा ये रहा कि यूपीए अपनी सरकार फिर से बनाने में कामयाब रहा. इतना ही नहीं हरियाणा और दिल्ली के  विधानसभा चुनाव में भी ऐसी ही कांग्रेस में अपनी सत्ता बचाने में कामयाब हो गई थी.
तो इस भारी मतदान के क्या मायने हैं. इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि युवा वर्ग अब मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहा है. लेकिन इसको नतीजों के हिसाब से देखें तो दोनों ही राज्यों में मौजूदा सरकार के लिए यह 50-50 का चांस है, या तो दोनों ही राज्यों की सरकारें पूर्ण बहुमत से वापस आ रही हैं या फिर एक ऐतिहासिक करारी हार का सामना करेंगी.
पंजाब में इस बार आम आदमी  पार्टी ड्रग्स के मुद्दे को जोरदार तरीके से जनता के बीच ले जाने में कामयाब रही है. इसका असर भी रैलियों में देखा गया है. वहीं पंजाब में सत्ता विरोधी लहर का कांग्रेस ने भी खूब फायदा उठाने की कोशिश की है.
बादल सरकार के लिए इस चुनाव में दो ही आसरे थे, पहला वह सत्ता विरोधी लहर को कितना थाम पाती है, दूसरा खिलाफ पड़ने वाले वोट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच बंट जाए.
अगर ऐसा हो जाता है तो अकाली-बीजेपी गठबंधन के लिए बड़ी राहत की बात हो सकती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि दिल्ली में ऐसा नहीं हुआ था.
दूसरी ओर गोवा में कमोबेश कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही है. जहां आम आदमी पार्टी कांग्रेस पर भारी पड़ती दिखाई दी है और मुख्य लड़ाई कई जगहों सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और आम आदमी पार्टी की ही थी.
गोवा में तो आम आदमी पार्टी दिल्ली की तरह सरकार बनाने का दावा कर रही है. हालांकि ऐसी कुछ उम्मीदें पंजाब में भी हैं. लेकिन मिल रही है जानकारी के मुताबिक गोवा में आखिरी दौर में आम आदमी पार्टी की पकड़ कुछ ढीली हुई है.
फिलहाल 11 मार्च को आने वाले नतीजे ही बताएंगे कि मोदी के ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के नारे का क्या होगा. सवाल इस बात का भी अगर आम आदमी पार्टी की सरकारें बनीं तो ? 

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