तो क्या ये है समाजवादी पार्टी का नया पोस्टर ?

रिपोर्ट्स है कि उन्नाव में समाजवादी पार्टी का एक पोस्टर काफी चर्चा में है जिसमें अखिलेश मुलायम सिंह यादव के सामने हाथ जोड़कर खड़े हैं और पोस्टर पर लिखा है आपकी साइकिल सदा चलेगी आपके नाम से. वहीं पोस्टर के दूसरे कोने में मुलायम का भी चेहरा है जो मुस्कुराते हुए दिख रहे हैं.

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तो क्या ये है समाजवादी पार्टी का नया पोस्टर ?

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  • January 17, 2017 7:53 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
लखनऊ : समाजवादी पार्टी और ‘साइकिल’ सिंबल पर जारी घमासान के बीच कल चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद से ही मुलायम सिंह यादव के रोल को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. इसी बीच समाजवादी पार्टी का एक नया सोशल मीडिया में इस वक्त काफी वायरल हो रहा है, जो सपा में मुलायम की स्थिति को अच्छी तरह से बता रहा है.
 
रिपोर्ट्स है कि उन्नाव में समाजवादी पार्टी का एक पोस्टर काफी चर्चा में है जिसमें अखिलेश मुलायम सिंह यादव के सामने हाथ जोड़कर खड़े हैं और पोस्टर पर लिखा है आपकी साइकिल सदा चलेगी आपके नाम से. वहीं पोस्टर के दूसरे कोने में मुलायम का भी चेहरा है जो मुस्कुराते हुए दिख रहे हैं.
 
 
पोस्टर पर लिखा है, ‘आपकी साइकिल सदा चलेगी आपके नाम से, फिर प्रदेश का दिल जीतेंगे हम मिलकर अपने काम से.’ पोस्टर के नीचे एमएलसी सुनील सिंह ‘साजन’ का नाम लिखा हुआ है. हालांकि अभी तक पार्टी की तरफ से आधिकारिक रूप से कोई पोस्टर जारी नहीं किया गया है.
 
 
बता दें कि कल चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव को पार्टी का अध्यक्ष माना और साइकिल सिंबल पर उनके गुट को हरी झंडी दे दी थी. मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच दो गुटों में बंट चुकी समाजवादी पार्टी के दोनों ही खेमों ने चुनाव आयोग के सामने पार्टी और सिंबल ‘साइकिल’ पर दावा पेश किया था, दोनों ही गुटों ने समर्थन का हलफनामा आयोग को सौंपा था, जिसके बाद कल आयोग ने अखिलेश के पक्ष में फैसला सुनाया. 
 
 
कैसे बढ़ा झगड़ा ?
बता दें कि समाजवाद पार्टी में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच शुरू हुई लड़ाई बढ़ते-बढ़ते मुलायम और अखिलेश की लड़ाई बन गई थी. चुनावों के लिए उम्मीदवारों की अलग-अलग सूची बनाने के बाद मुलायम सिंह ने अखिलेश और छोटे भाई रोमगोपाल यादव को पार्टी से बाहर निकाल दिया था.
 
 
हालांकि, जल्द ही अखिलेश का पार्टी से निलंबन रद्द ​कर दिया गया था. इसके बाद रामगोपाल यादव के बुलाए राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम सिंह के पार्टी का मार्गदर्शक और अखिलेश को अध्यक्ष बनाया दिया गया. इसके बाद दोनों पक्ष चुनाव चिह्न और पार्टी के नाम पर दावे को लेकर चुनाव आयोग चले गए थे. 
 

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