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UP Election 2017: आज अखिलेश के साथ ‘साइकिल’ पर सवार हो सकते हैं राहुल

उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे समाजवादी पार्टी और साइकिल चुनाव निशान पर अखिलेश यादव का कानूनी कब्ज़ा हो चुका है. अब कहा जा रहा है कि यूपी की जंग जीतने के लिए कांग्रेस और सपा में गठबंधन हो सकता है.

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  • January 17, 2017 6:15 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे समाजवादी पार्टी और ‘साइकिल’ चुनाव निशान पर अखिलेश यादव का कानूनी कब्ज़ा हो चुका है. अब कहा जा रहा है कि यूपी की जंग जीतने के लिए कांग्रेस और सपा में गठबंधन हो सकता है.
 
खबर है कि कांग्रेस-सपा-राष्‍ट्रीय लोकदल के बीच यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन हो सकता है और इसका औपचारिक ऐलान आज या कल में किया जा सकता है.
 
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गठबंधन के मुद्दे पर बात करने लखनऊ जा सकते हैं. वहीं कांग्रेस का कहना है कि वह यूपी की भलाई के लिए समाजवादी पार्टी से गठबंधन को तैयार है.
 
रिपोर्ट्स है कि यूपी में कांग्रेस को 80 से 85 सीटें दी जा सकती हैं, लेकिन कांग्रेस 5 से 10 सीटें और चाहती हैं. वहीं कहा जा रहा है कि आरएलडी को 25 से 30 सीटें मिल सकती हैं.
 
गठबंधन की थी सुगबुगाहट
गौरतलब है ​कि अखिलेश यादव और कांग्रेस के गठबंधन की सुगबुगाहट पहले से ही थी. अखिलेश यादव दिसंबर में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिले भी थे. वहीं, चुनावा आयोग में अखिलेश यादव का पक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल ने रखा था.
 
 
बता दें कि कल चुनाव आयोग ने फैसला सुना दिया है कि अखिलेश यादव की अगुवाई वाली पार्टी ही असली समाजवादी पार्टी है. मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच दो गुटों में बंट चुकी समाजवादी पार्टी के दोनों ही खेमों ने चुनाव आयोग के सामने पार्टी और सिंबल ‘साइकिल’ पर दावा पेश किया था, दोनों ही गुटों ने समर्थन का हलफनामा आयोग को सौंपा था, जिसके बाद कल आयोग ने अखिलेश के पक्ष में फैसला सुनाया. 
 
कैसे बढ़ा झगड़ा ?
बता दें कि समाजवाद पार्टी में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच शुरू हुई लड़ाई बढ़ते-बढ़ते मुलायम और अखिलेश की लड़ाई बन गई थी. चुनावों के लिए उम्मीदवारों की अलग-अलग सूची बनाने के बाद मुलायम सिंह ने अखिलेश और छोटे भाई रोमगोपाल यादव को पार्टी से बाहर निकाल दिया था.
 
 
हालांकि, जल्द ही अखिलेश का पार्टी से निलंबन रद्द ​कर दिया गया था. इसके बाद रामगोपाल यादव के बुलाए राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम सिंह के पार्टी का मार्गदर्शक और अखिलेश को अध्यक्ष बनाया दिया गया. इसके बाद दोनों पक्ष चुनाव चिह्न और पार्टी के  नाम पर दावे को लेकर चुनाव आयोग चले गए थे. 
 

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