लखनऊ. बीएसपी सुप्रीमो मायावती इस बार अपने जन्मदिन 15 जनवरी के दिन नोटों की माला नहीं पहनेंगी मतलब ‘डोनेशन’ नहीं लिया जाएगा. इतना ही नहीं इस बार कोई बड़ा कार्यक्रम भी नहीं होगा बस बीएसपी कार्यकर्ता सभी 403 विधानसभा सीटों पर केक काटेंगे.
गौरतलब है कि मायावती का जन्मदिन हर साल बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता रहा है जिसे बीएसपी कार्यकर्ता ‘आर्थिक सहयोग दिवस’ कहते हैं. इस कार्यक्रम का एक नारा भी है ‘एक नोट, एक वोट’. यह परंपरा पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने शुरू की थी.
बताया जा रहा है कि यूपी में चुनावी आचार संहिता लागू हो चुकी है इसलिए सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को इस बार डोनेशन से दूर रहने के लिए कहा गया है.
हालांकि पार्टी सूत्रों ने कहा है कि जन्मदिन मनाना पार्टी का आंतरिक मसला है और किसी भी कार्यकर्ता को आने से रोका नहीं जा सकता है.
इसके अलावा कार्यकर्ताओं को इस बात की भी हिदायत दी गई है कि वह इस बार किसी को भी मिठाई, फल, कंबल जैसी चीजें न बांटे और चुनावी आचार संहिता का पालन करें. लेकिन इस मौके पर बीएसपी अपनी ताकत दिखाना नहीं भूलेगी.
कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि सभी विधानसभा सीट पर पार्टी सुप्रीमो का केक काटकर मनाया जाए ताकि सभी मतदाताओं तक बीएसपी की जोरदार पैठ को दिखाया जा सके. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि नोटबंदी भी एक वजह हो सकती है.
आपको बता दें कि यूपी में मायावती ने ही नोटबंदी का सबसे ज्यादा विरोध किया था. उनके इस विरोध की वजह से विरोधी उन पर कई तरह के आरोप लगा रहे थे और उनको शक के घेरे में खड़ा कर दिया था.
माना जा रहा है कि इस बार जन्मदिन में डोनेशन न लेकर नोटबंदी के विरोध की वजह से बिगड़ी छवि को फिर से सुधारनी चाहती हैं.