लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बीएसपी सुप्रीमो
मायावती ने इस बार लीक से हटकर टिकट दिए हैं. इस बार पार्टी ने मुस्लिम समीकरण का पूरा ध्यान रखा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही मायावती ने 50 मुस्लिम प्रत्याशी उतार दिए हैं. इस क्षेत्र में कुल 149 सीटें हैं.
मतलब बीएसपी ने इस इलाके की एक तिहाई सीटों पर इस बार मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए हैं. इतना ही नहीं हर सीट का बड़े ही सूक्ष्म तरीके से भी विश्लेषण किया गया है. वहीं अयोध्या जैसी सीट पर भी बीएसपी ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर नया दांव चला है.
अयोध्या के प्रत्याशी का नाम बाजमी सिद्दकी है. ऐसा पहला मौका है जब किसी पार्टी ने 1980 के बाद के बाद किसी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है क्योंकि यही समय था जब अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत हुई थी.
वहीं देवबंद विधानसभा सीट पर बीएसपी ने 1993 के बाद पहली बार मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है. यहां के उम्मीदवार का नाम माजिद अली है. जहां पार्टी ने अयोध्या की सीट पर कभी कोई चुनाव नहीं जीता तो देवबंद में बीएसपी 2002 और 2007 का चुनाव जीत चुकी है.
देवबंदी में की सीट पर अभी कांग्रेस के मविया अली के पास है जो फरवरी में हुए उपचुनाव में सपा को हराकर जीता था. यह सीट सपा विधायक राजेंद्र सिंह राणा के निधन के बाद से खाली हुई थी.
बात करें अयोध्या की 1991 से लगातार 21 सालों तक यह सीट बीजेपी के ही पास रही है. लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में यह सीट सपा के खाते में चली गई. यहां से पवन पांडेय ने बीजेपी के विधायक लल्लू सिंह को हरा दिया था.
अयोध्या विधानसभा सीट में 50 हजार मुस्लिम और 60 हजार दलित हैं. बीएसपी को उम्मीद है कि अगर सिद्दिकी के खाते में इतने वोट आते हैं तो इस बार वह अयोध्या की सीट भी हथियाने में कामयाब हो जाएगी. अभी तक मुस्लिम वोट यहां से सपा के ही खाते में जाते रहे हैं.
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अब बात करें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर का सीट का तो यहां की 6 विधानसभा सीटों में से तीन पर बीएसपी ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. पिछले बार यहां से 2 ही मुस्लिम कैंडिडेट बीएसपी ने उतारे थे.
शामली जिले में भी बीएसपी ने दो प्रत्याशी उतारे हैं. बीएसपी को इस इलाके में ध्रवीकरण का भी खतरा है साथ ही उसके कोर सपोर्टर जाटव बैंक में सेंध लग जाने की आशंका है. इसका फायदा यहां बीजेपी को मिल सकता है. लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को यहां अच्छा-खासा फायदा पहुंचा था.
बीएसपी की कोशिश है कि चुनाव प्रचार के दौरान इन इस इलाके में हुए दंगों का दोषी सपा और बीजेपी को ज्यादा से ठहराया जाए. यही वजह है कि पार्टी के एकमात्र मुस्लिम चेहरा नसीमुद्दीन सिद्दिकी अपनी हर रैली में कहते हैं कि बीएसपी के शासन में एक बार भी दंगा नहीं हुआ.
इसी तरह बिजनौर में भी पार्टी ने सभी 6 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारने की घोषण की है. वहीं मुस्लिम बाहुल्य जिले जैसे रामपुर, संभल, मुरादाबाद, बंदायूं जैसे जिलों में बीएसपी ने आधे से ज्यादा प्रत्याशी मुस्लिम ही उतारे हैं.
वहीं बात करें पूर्वांचल की तो बीएसपी ने उन्हीं सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं जहां पर मुसलमान वोटों की संख्या ज्यादा है. बीएसपी सुप्रीम मायावती ने कुल 97 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं.