लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2017 को लेकर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले के तहत टिकट बांटा है.
आज हुई प्रेस कांन्फ्रेंस में उन्होंने विधानसभा चुनाव को लेकर बांटे गए टिकटों का जातिगत ब्यौरा दिया. मायाावती ने बताया कि इस बार 87 सीटों पर दलित, 97 सीटों पर मुस्लिम, ओबीसी 106, अगड़ी जाति के 113 उम्मीदवार होंगे.
इन अगड़ी जातियों में 66 टिकट ब्राह्णणों को, कायस्थों को 36, 11 टिकटें पंजाबी और वैश्य समाज के लोगों को दी गई हैं. बीएसपी सुप्रीमो ने दावा किया है कि टिकट देने में इस बात का ध्यान रखा है कि इन नेताओं में कितने लोग बीएसपी आंदोलन से जुड़े रहे हैं.
गौरतलब है कि इससे पहले 2007 में भी मायावती सोशल इंजीनियरिंग जिसमें ब्राह्णण और दलितों को मिलाकर चुनाव लड़ा था और भारी सफलता हासिल कर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं.
लेकिन 2012 के विधानसभा चुुनाव में सपा की ओर से अखिलेश यादव के चेहरे के सामने वह टिक न सकीं. उनकी सरकार पर एनआरएचएम घोटाले के आरोप लगे जिसमें कई अधिकारियों की रहस्यमयी मौत हुई थी.
इस घोटाले में फंसकर बाबू सिंह कुशवाहा सहित कई मंत्रियों को बाद में जेल भी जानी पड़ी थी. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या मायावती सोशल इंजीनियरिंग के दम पर भ्रष्टाचार के इन दागों को धोने में कामयाब हो पाएंगी.
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