लखनऊ: राजनीति के खेल में मुलायम सिंह यादव जिस दांव के सबसे बड़े उस्ताद माने जाते हैं आज उसी का खुद का शिकार हो गए हैं. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में जिस तरह से तख्ता-पलट हुआ इसे कई सालों तक याद किया जाएगा.
बेटे के बाप के खिलाफ बगावत के किस्से सिर्फ अकबर और सलीम के ही सुने जाते रहे हैं जिसमें अकबर ने सबकुछ खोकर विजय पाई थी. लेकिन उत्तर प्रदेश में पहली जनवरी को जो कुछ हुआ उसमें सपा के अकबर यानी सबकुछ गंवाते दिख रहे हैं.
|चाचा रामगोपाल यादव के हाथों खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित करवाने के बाद अखिलेश भले ही मंच पर मुलायम के अच्छे बेटे होने का दावा कर उनके प्रति श्रद्धा जता रहे हों लेकिन एक झटके में उन्होंने मुलायम से सत्ता, पार्टी, छीन लिया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि मुलायम का साथ अभी जो लोग खड़े हैं वह कितनी दूर तक साथ निभाएंगे.
सपा के दंगल में पहले दिन से आखिरी दांव तक कब क्या हुआ ?
1- शिवपाल यादव ने अखिलेश सरकार की कार्यशैली पर हमला बोला.
2- अखिलेश शिवपाल और उनके समर्थकों को पार्टी से बाहर निकाल दिया.
3- अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया.
4- अखिलेश के समर्थक कुछ और विधायकों को पार्टी से निकाल दिया गया.
5- रामगोपाल के खिलाफ गंभीर आरोप लगाकर पार्टी से निकाला गया.
6- शिवपाल के खिलाफ भी अखिलेश के गुट ने आरोप लगाए.
7- दोनों ओर से बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया.
8- अमर सिंह के खिलाफ भी अखिलेश की ओर से आरोप लगाए गए. इसी बीच अमर सिंह को पार्टी का महसचिव बना दिया गया.
9- रामगोपाल को पार्टी में फिर से वापस लिया गया और उनके फिर से महासचिव बना दिया गया.
10- फिर गठबंधन के फैसले को लेकर तकरार शुरू हो गई.
11- शिवपाल और अखिलेश के बीच उम्मीदवारों की अलग-अलग लिस्ट जारी की गई.
12- अखिलेश और रामगोपाल को पार्टी से निकाल दिया गया.
13- अखिलेश यादव के घर पर 200 से अधिक विधायक समर्थन में पहुंच गए.
14- मुलायम सिंह और शिवपाल की बैठक में बहुत ही कम लोग पहुंचे.
15- अखिलेश और रामगोपाल यादव का निलंबन का वापस हो गया.
16- शिवपाल मीडिया में आए और कहा कि सारा मसला सुलझा लिया गया है अब सब ठीक है. सभी लोग संगठित होकर चुनाव लड़ेंगे.
17- शाम को फिर रामगोपाल यादव ने कहा कि लखनऊ में बुलाया गया अधिवेशन रद्द नहीं किया जाएगा.
18- रविवार की सुबह मुलायम और शिवपाल की बैठक शुरू हुई.
19- मुलायम सिंह यादव की ओर से चिट्ठी जारी की गई और कहा गया कि राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाना अनुशासनहीनता जो जाएगा कार्रवाई की जाएगी.
20- राष्ट्रीय अधिवेशन में रामगोपाल ने अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया. अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया. शिवपाल से प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छीन ली गई.
21- अखिलेश ने कहा कि वह पिता और पार्टी के खिलाफ साजिश नहीं होने देंगे.
कई बड़े सवाल
1- क्या मुलायम सिंह यादव को अपने बेटे और भाई रामगोपाल यादव के इस फैसले का अंदाजा नहीं था?
2- अखिलेश और शिवपाल के झगड़े को मुलायम सिंह यादव ने आगे क्यों बढ़ने दिया.
3- क्या यह अखिलेश को स्थापित करने के लिए एक चाल थी.
4- क्या पार्टी में संसदीय बोर्ड, राष्ट्रीय कार्यकारिणी जैसी इकाइयों का कोई मतलब नहीं रह गया है अब जो भी अखिलेश कहेंगे वही सही होगा.
5- पार्टी के सभी बड़े नेता अब अखिलेश के सामने बौने हो गए हैं.