लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे समाजवादी पार्टी में मचा घमासान लगातार बढ़ता ही जा रहा है. आज पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने चुनाव के लिए ‘आधिकारिक’ रूप से घोषित 325 उम्मीदवारों की बैठक बुलाई थी तो वहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी अपने आवास में विधायकों की मीटिंग बुलाई थी.
अखिलेश बैठक में आए हुए मंत्रियों और विधायकों के सामने भावुक हो गए थे. उन्होंने बैठक में कहा कि उनकी मुलायम सिंह यादव से कोई दूरियां नहीं हैं, वह चुनाव में उत्तर प्रदेश जीतकर अपने पिता को तोहफा देकर खुश करना चाहते हैं.
आज हुई बैठक को अगर देखा जाए तो अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं. अखिलेश की बैठक में आज जहां मंत्रियों समेत 200 से ज्यादा विधायक पहुंचे थे तो वहीं मुलायम की मीटिंग में केवल 60 उम्मीदवार ही शामिल हुए थे.
पार्टी कार्यालय में हुई मुलायम की बैठक में शिवपाल यादव, अतीक अहमद, ओपी सिंह, नारद राय और गायत्री प्रजापति शामिल हुए थे. अतीक अहमद का कहना है कि वह पार्टी को बचाने के लिए पीछे हटने को तैयार हैं. हालांकि उन्होंने कहा है कि सीएम के लिए पहली पसंद अखिलेश यादव ही हैं.
बैठक के बाद पिता से मिलने पहुंचे अखिलेश
अखिलेश यादव विधायकों के साथ बैठक करने के बाद अपने पिता और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंचे हैं. उनके साथ सपा नेता आजम खान और अबु आजमी भी हैं. आजम खान मुलायम और अखिलेश के बीच सुलह करवाने की कोशिश कर रहे हैं.
आजम खान करेंगे मुस्लिम विधायकों के साथ बैठक
वहीं आजम खान ने आज मुस्लिम विधायकों के साथ बैठक करने का ऐलान किया है. वह आज दोपहर तीन बजे मुस्लिम विधायकों के साथ बैठक करेंगे.
अखिलेश समर्थक कर रहे हैं प्रदर्शन
अखिलेश यादव को पार्टी से निकाले जाने के विरोध में अखिलेश समर्थक प्रदर्शन कर रहे हैं. अखिलेश के घर के सामने इस वक्त लोगों की भीड़ लगी हुई है और वह सभी अखिलेश की पार्टी में वापसी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.
क्या है मामला ?
बता दें कि विधानसभा चुनाव के लिए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की ओर से जारी की गई उम्मीदवारों की लिस्ट से नाराज अखिलेश यादव ने अपने समर्थकों के भी नाम अलग से उम्मीदवार के तौर पर जारी कर दिए थे, जिसके बाद सीएम अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को कारण बताओ नोटिस भेज दिया था और बाद में दोनों को पार्टी से 6 साल के लिए निकालने का फैसला लिया गया.
दरअसल मुलायम सिंह ने जो जारी लिस्ट की थी उसमें शिवपाल की ही बात मानी गई थी और अखिलेश के कई करीबियों के नाम काट दिए गए थे.
झगड़ा इसी बात को लेकर बढ़ गया. अखिलेश शुरू से ही मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद को टिकट देने के खिलाफ रहे हैं लेकिन पार्टी की आधिकारिक लिस्ट में इन दोनों का नाम था जबकि अखिलेश के करीबियों के नाम गायब थे.