लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में मची उथल-पुथल का आज एक तरीके से शक्ति परीक्षण हो रहा है. शुक्रवार को समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने सीएम अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया, जिसके बाद से ही पार्टी दो खेमों में बंट गई है.
एक वह खेमा जो मुलायम के साथ है, तो दूसरा वह जो अखिलेश को समर्थन दे रहा है. इन्हीं दोनों खेमों में से किसका पलड़ा भारी है आज इस बात का शक्ति परीक्षण हो रहा है. एक तरह से शक्ति परीक्षण में अखिलेश यादव पिता मुलायम सिंह यादव पर भारी पड़ते दिख रहे हैं.
समाजवादी परिवार में अलग-अलग उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने के कारण पड़ी फूट के बाद आज जहां पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव यूपी चुनाव के लिए ‘आधिकारिक’ तौर पर घोषित 325 उम्मीदवारों के साथ बैठक कर रहे हैं तो वहीं सीएम अखिलेश के घर पर भी बैठक जारी है.
बैठक से हो रहा है शक्ति परीक्षण
अखिलेश यादव के घर पर मंत्रियों समेत 200 से भी ज्यादा विधायक बैठक के लिए पहुंच चुके हैं. बैठक में रामगोपाल यादव भी मौजूद हैं, तो वहीं मुलायम की बैठक में महज 60 उम्मीदवार मौजूद हैं. मुलायम की बैठक में शामिल होने के लिए 15-20 एमएलए भी पहुंचे हैं.
पार्टी कार्यालय में जारी मुलायम की बैठक में शिवपाल यादव, अतीक अहमद, ओपी सिंह, नारद राय और गायत्री प्रजापति मौजूद हैं. अतीक अहमद का कहना है कि वह पार्टी को बचाने के लिए पीछे हटने को तैयार हैं. हालांकि उन्होंने कहा है कि सीएम के लिए पहली पसंद अखिलेश यादव ही हैं.
अखिलेश समर्थक कर रहे हैं प्रदर्शन
अखिलेश यादव को पार्टी से निकाले जाने के विरोध में अखिलेश समर्थक प्रदर्शन कर रहे हैं. अखिलेश के घर के सामने इस वक्त लोगों की भीड़ लगी हुई है और वह सभी अखिलेश की पार्टी में वापसी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.
बता दें कि विधानसभा चुनाव के लिए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की ओर से जारी की गई उम्मीदवारों की लिस्ट से नाराज अखिलेश यादव ने अपने समर्थकों के भी नाम अलग से उम्मीदवार के तौर पर जारी कर दिए थे, जिसके बाद सीएम अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव को कारण बताओ नोटिस भेज दिया था और बाद में दोनों को पार्टी से 6 साल के लिए निकालने का फैसला लिया गया.
दरअसल मुलायम सिंह ने जो जारी लिस्ट की थी उसमें शिवपाल की ही बात मानी गई थी और अखिलेश के कई करीबियों के नाम काट दिए गए थे.
झगड़ा इसी बात को लेकर बढ़ गया. अखिलेश शुरू से ही मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद को टिकट देने के खिलाफ रहे हैं लेकिन पार्टी की आधिकारिक लिस्ट में इन दोनों का नाम था जबकि अखिलेश के करीबियों के नाम गायब थे.