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UP Election 2017 : सपा-कांग्रेस में नहीं होगा गठबंधन, ये 15 सीटें बनीं बड़ी वजह ?

लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया ऐलान कर चुके हैं कि उनकी पार्टी किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी.

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  • December 28, 2016 1:56 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
लखनऊ.  उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया ऐलान किया है कि उनकी पार्टी किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी.
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद भी मेरठ में कार्यकर्ताओं से कह चुके हैं कि पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए किसी के भी साथ समझौता नहीं करेगी.
लेकिन सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि दोनों ही पार्टियों के बीच सीटों को लेकर बातचीत जारी है. बताया जा रहा है कांग्रेस उन 15 सीटों की मांग कर रही है जिनमें 2012 के चुनाव में सपा ने जीत दर्ज की थी.
इन्हीं सीटों के वजह से मामला आगे नहीं बढ़ रहा है. इसी बीच बुधवार को सपा मुखिया ने 325 सीटों के उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं.
दरअसल कांग्रेस जिन 15 सीटों की मांग कर रही है उनमेें रायबरेली और अमेठी की सीटें भी शामिल हैं जहां से सोनिया गांधी और राहुल सांसद हैं.
2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस रायबरेली की 5 विधानसभा सीट बुरी तरह से हार गई थी. सिर्फ हरचंदपुर विधानसभा सीट में उसका उम्मीदवार दूसरे नंबर पर था. वहीं अमेठी की 5 सीटों पर भी दो में जीत दर्ज की थी बाकी तीनों पर समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी.
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि हम कांग्रेस के साथ रायबरेली और अमेठी उन सीटों पर बातचीत के लिए तैयार हैं जिनमें वह पिछले चुनाव में नंबर की दो की पोजीशन में थी. लेकिन सभी 15 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ देना यह हमारे लिए पूरी तरह से असंभव है.
आपको बता दें कि इस सपा के साथ गठबंधन पर कांग्रेस 100 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. जिसमें 31 वह सीटें भी शामिल है जहां कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर थी साथ ही 28 उन सीटों पर भी दावा है जहां कांग्रेस जीती थी.
गठबंधन होगा तो ?
दरअसल कांग्रेस और सपा के लिए गटबंधन के तरह से मजबूरी भी हो सकती है. एक ओर जहां कांग्रेस को 100 सीटे मिलेंगी तो उसे सपा का समर्थन मिलेगा.
पिछले 27 सालों से यूपी की सत्ता से दूर कांग्रेस के लिए यह संजीवनी साबित हो सकता है. वहीं सपा के खिलाफ राज्य में सत्ता विरोधी लहर भी है और अखिलेश और शिवपाल के झगड़े के बाद से पार्टी की छवि और खराब हुई है.   कांग्रेस के पास अच्छा मौका होगा कि सपा समर्थित मुसलमानों के बीच अपनी पैठ बना सके.
 
 

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