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बाबरी मस्जिद : 24 सालों से बस एक ही सवाल, एसएसपी के कहने पर भी 6 दिसंबर को क्यों नहीं आगे बढ़े थे पुलिसकर्मी

अयोध्या. 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस की बरसी है. हिंदू संगठन जहां उसेे ‘शौर्य दिवस’ को तौर मनाते हैं तो मुस्लिम संगठन उसे ‘काला दिवस’ मानते हैं. 

‘अयोध्या में राम मंदिर’ भारतीय राजनीति का वह मुद्दा है जिसके सहारे कई नेता प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री बने. राजनीति में इसी मुद्दे ने किसी को नायक बना दिया तो कोई खलनायक बनकर भी सत्ता का सिरमौर बन गया.
लेकिन साल 1992 में की तारीख 6 दिसंबर अयोध्या पर उस दिन कैसे बीती थी ये तो इतिहास के पन्नों में दर्ज है और जिसके लिए राजनीतिक दल अपनी सुविधा के मुताबिक ‘काले या सुनहरे शब्दों’ में लिखा बताते हैं.
क्या हुआ था एक दिन पहले 5 दिसंबर को
6 दिसंबर से एक दिन पहले यानी 5 दिसंबर को एक बड़े पत्थर को बांधकर पहाड़ से गिराया गया था. बताया जाता है कि यह बाबरी मस्जिद गिराने का रिहर्सल था. जिसे प्रशासन के अधिकारी समझ नहीं पाए. इस दिन लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंच नहीं पाए थे और नारा लगा रहा थे, रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे…लेकिन भीड़ से ही एक नारा गूंज रहा था मिट्टी नहीं सरकाएंगे, ढांचा तोड़ कर जाएंगे…बताया जाता है कि अगले दिन 12 बजे का वक्त तय था कारसेवा करने का.

6 दिसंबर की सुबह

सुबह तक पूरी अयोध्या को कारसेवकों ने अपने लगभग कब्जे में कर लिया था. लाखों की संख्या में आए लोग पुलिस बल पर भारी पड़ रहे थे. तभी करीब 11 बजे कारसेवकों को एक हुजूम ने सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश लेकिन उनको वापस धकेल दिया गया. कुछ अधिकारियों का कहना है कि भीड़ में उन लोगों ने वीएचपी नेता अशोक सिंघल, बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी को भी देखा था जो वहां लोगों को कुछ समझा रहे थे.
करीब आधे घंटे बाद

पुलिस की टुकड़ी विवादित स्थल से बाहर आ गई. सभी अधिकारी खामोश देख रहे थे. तभी कारसेवकों ने विवादित स्थल पर धावा बोल दिया. कुछ पुलिसकर्मी अभी वहां मौजूद थे लेकिन इतनी बड़ी भीड़ को काबू न कर सके और भाग खड़े हुए.

6 दिसंबर दोपहर 12 बजे


दोपहर 12 बजे शंख और घंटा-घड़ियाल बजना शुरू हो गया. नारों से पूरा इलाका गूंज रहा था. कारसेवकों विवादित ढांचे पर चढ़ रहे थे. बाड़े का ताला भी तोड़ दिया गया था. एसएसपी डीबी राय पुलिसकर्मियों को एक्शन के लिए चिल्ला रहे थे. लेकिन किसी ने उनकी बात न सुनी. कारसेवकों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि मिनटों में पूरा ढांचा गिरा दिया गया और पूरी उत्तर प्रदेश पुलिस तमाशा देखती रह गई.

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