लखनऊ. नोटबंदी के फैसले के बाद से पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल थमने का नाम नहीं ले रहा है. हालांकि कुछ बैंक के अधिकारियों और भारत सरकार का दावा है कि पहले से स्थिति में काफी सुधार है.
लेकिन हकीकत है यह है कि अब धीरे-धीरे लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है. बताया जा रहा है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में जब लोगों की सैलरी आएगी तो एटीएम और बैकों के सामने और भीड़ उमड़ेगी.
कई लोगों का कहना है कि महीने की शुरुआत में ही दूधवाला, सब्जीवालों, राशन की दुकानों का हिसाब करना पड़ता है लेकिन समझ में नहीं आ रहा है कि इन लोगों का भुगतान कैसे किया जाएगा.
बात करें राजनीति की तो टीएमसी, कांग्रेस, बसपा, सपा और लेफ्ट सहित कई दल सरकार का सड़क से लेकर संसद तक विरोध कर रहे हैं. ऐसे में अगर दिसंबर में भी हालात काबू में नहीं आए तो बीजेपी को विधानसभा चुनाव में अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
क्योंकि अब यह बात बिलकुल साफ हो गई है कि सरकार भले ही कितने दावे कर लेकिन गांवों और छोटे कस्बों के बैंकों की हालत बहुत ही खराब है. इन बैकों में करेंसी मांग के मुताबिक नहीं पहुंचाई जा रही है.
अब इसके पीछे करेंसी की कमी है या फिर सरकारी तंत्र की नाकामी, इतना तो तय है कि इसका सारा प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार के ऊपर मढ़ा जाएगा.
गौरतलब है कि 2017 में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें उत्तर प्रदेश का चुनाव 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल है.
लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इस नोटबंदी के बाद भी बीजेपी ने गुजरात और महाराष्ट्र के निकाय चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज की है.
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