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सरकार का फरमान, जहां ठीक लगे सेना ज़रूर करे सर्जिकल स्ट्राइक!

नई दिल्ली. सेना अब म्यांमार की तरह किसी भी देश में घुसकर आतंकियों का सफाया कर सकेगी. सरकार ने इसकी हरी झंडी दे दी. गुरुवार को गृह मंत्रालय में बैठक हुई. इसमें गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, खुफिया एजेंसियों के प्रमुख और सेना के आला अधिकारी मौजूद थे. सूत्रों के मुताबिक इसमें तय किया गया कि आतंकियों के खिलाफ हर हाल में जवाबी कार्रवाई की जाएगी. भले ही आतंकी किसी भी देश की सीमा में जा छुपें. 

उग्रवादी भी हैं हमले की फ़िराक में
सबसे ज्यादा आतंकी पीओके में शरण लिए हुए हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को सर्जिकल ऑपरेशन के लिए ब्लूप्रिंट बनाने को कहा गया है. इस प्रक्रिया में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, एनएसए, गृह व रक्षा सचिव, खुफिया एजेंसियों के प्रमुख, थल सेना और वायु सेना प्रमुख भी शामिल रहेंगे. बैठक के बाद एनएसए अजित डोभाल म्यांमार रवाना हो गए. म्यांमार में सेना की कार्रवाई का बदला लेने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में 30 से 40 आतंकियों के घुसने की खुफिया सूचना है. अरुणाचल, मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम में हाई अलर्ट जारी किया गया है.

चीन के मंसूबों पर भी फिरा पानी
म्यांमार में भारत की कार्रवाई के बड़े मायने हैं. ये सिर्फ आतंकियों से बदला लेना भर नहीं था, बल्कि पूरब में चीन की मंशा को भोथरा करना था. भारत को इसमें दोगुनी कामयाबी मिली है. चीन तो चौकन्ना हुआ ही, पाकिस्तान भी सकते में आ गया. दरअसल, पूरब में आतंक फैला रहे बोडो, परेश बरुआ का उल्फा, मणिपुर के उग्रवादी और खापलांग गुट ने एकजुट होकर नया संगठन बना लिया है. इसमें चीन ने इनकी मदद की है. 

फ्रीडम फॉर साउथ-वेस्टर्न, साउथ-ईस्ट एशिया नाम के इस संगठन ने न केवल मणिपुर, असम, बल्कि म्यांमार में भी आतंक मचा रखा है. चीनी शह पर ही इस नए संगठन ने म्यांमार के अल्पसंख्यक प्रांत कचिन और शान में हथियारबंद विद्रोह फैला रखा है. म्यांमार के रिश्ते इन दिनों चीन से काफी बिगड़ गए हैं.
उसने कई चीनी प्रोजेक्ट्स रोक दिए. जबकि इसी दौरान वह भारत के ज्यादा करीब आ गया. म्यांमार से हमारी 1640 किमी की सीमा चार प्रांतों- अरुणाचल, मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम से लगी है. म्यांमार का कचिन इलाका तो अरुणाचल से सटा ही है. भारत म्यांमार के अल्पसंख्यक विद्रोहियों को इस बात को राजी करने में जुटा है कि वे म्यांमार का संविधान स्वीकार लें.

IANS से भी इनपुट

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