लखनऊ. उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहा है, वैसे-वैसे हर पार्टी चुनाव जीतने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रही है. जहां राज्य में सत्ता पर काबिज समाजवादी पार्टी एक बार फिर सरकार बनाने की कोशिश में है तो वहीं बीजेपी ने भी राम मंदिर मुद्दे को एक बार फिर उठाकर यह साबित कर दिया कि यूपी चुनाव में उनकी तरफ से भी तैयारी पूरी है.
देश की राजनीति में पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस की पकड़ काफी ढिली हो गई है, लेकिन वह यूपी चुनाव में वापसी की तैयारी में है. इसी के सिलसिले में कहा जा रहा है कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर सकती है. यूपी की राजनीति में चौथी महत्वपूर्ण पार्टी बहुजन समाज पार्टी है, उसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
सत्ता में काबिज समाजवादी पार्टी एक बार फिर वापसी करने की कोशिश में है. इसी के लिए यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने चुनावी रथ यात्रा का सहारा लिया.
हालांकि चुनाव के नतीजे आने से पहले कुछ कहा नहीं जा सकता कि कौन सी पार्टी जीतेगी या कौन सी हारेगी. लेकिन इतना तो तय है कि अखिलेश यादव के 5 सालों की कुछ उपलब्धियों को नकारा नहीं जा सकता है फिर चाहे लखनऊ मेट्रो जैसा प्रोजेक्ट या फिर आगरा एक्सप्रेसवे.
विकास के मामले में अखिलेश यादव अबतक बेहतर मुख्यमंत्री साबित होते दिख रहे हैं लेकिन उनके सामने इस बार सत्ता विरोधी लहर के साथ-साथ कुछ बाते ऐसी हैं जो विधानसभा चुनाव के नतीजों में काफी पीछे धकेल सकती हैं.
लेकिन अगर इस बार समाजवादी पार्टी चुनाव नहीं जीतती है तो ये पांच कारण होंगे जिम्मेदार….
पार्टी में मचा घमासान होगा बड़ा कारण
उत्तर प्रदेश में चाचा-भतीजे के बीच हुई तनातनी की वजह से पूरे प्रदेश में यह संदेश चला गया है कि पार्टी में कुछ भी सही नहीं है और पार्टी अभी स्थिर नहीं है. ऐसे में पार्टी को वोट देने से पहले जनता यह बात जरूर सोचेगी, क्योंकि चुनाव जीतने से पहले ही अगर पार्टी में पद को लेकर घमासान हो सकता है तो चुनाव जीतने के बाद ऐसा नहीं होगा यह कहना मुश्किल है.
लगातार बढ़ रहा है क्राइम
उत्तर प्रदेश में अपराध लगातार बढ़ता जा रहा है. अगर सपा चुनाव हारती है तो इसके पीछे क्राइम भी बड़ा कारण होगा. गृह मंत्रालय नेशनल क्राइम ब्यूरो की तरफ से जारी किए गए आकड़ें ये बताते हैं कि अपराधों के मामरे में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है. यूपी जहां मायावती के शासनकाल में 3 अपराधों की श्रेणी में नंबर वन था तो वहीं समाजवादी सरकार में इंडिया में 5 अपराधों की श्रेणी में टॉप पर है. रेप, हत्या, चोरी, किडनैपिंग और दंगों की संख्या समाजवादी पार्टी के शासन काल में कम होने के बजाए बढ़ी है. बुलंदशहर गैंगरेप कांड ने लोगों के मन में खासा डर पैदा कर दिया है.
दलितों के खिलाफ अपराध के मामले में यूपी अव्वल
देश में हमेशा से होती आई वोट की राजनीति में दलित एक अहम हिस्सा रहा है, लेकिन आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि दलितों के खिलाफ हुए अपराधों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक दलितों से अपराध के कुल 8,358 मामले साल 2015 में दर्ज किए गए थे तो वहीं साल 2014 में दलितों के साथ अपराध के 8,075 मामले दर्ज किए गए थे.
बिजली-पानी की समस्या
लोगों को जीवन में सबसे बड़ा रोल निभाते हैं बिजली और पानी. ये दोनों ही जीवन की मूलभूत आवश्यकता है. अगर बिजली के विषय पर बात करें तो नॉर्थ इंडिया में राजस्थान के बाद बिजली उत्पादन में उत्तर प्रदेश का ही नाम आता है, लेकिन फिर भी लोगों को बिजली की खासा दिक्कत रहती है. लोगों को सही तरीके से बिजली नहीं मिल पा रही है. इसके साथ ही पानी की समस्या से भी लोगों को खासी दिक्कत होती है. पानी और बिजली अभी भी राज्य के कई हिस्सों के लोगों को ठीक तरीके से नहीं मिल रही हैं. बुंदेलखंड में तो इस बार गर्मी में पानी की खासा दिक्कत हुई थी.
राम मंदिर का मुद्दा
समाजवादी पार्टी के ज्यादातर हिंदू वोटर्स इस बार बीजेपी को अपना वोट दे सकते हैं. बीजेपी इस बार राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर फिर से सवार होते दिख रही है ताकि हिंदुत्व के लहर पर सवार होकर अच्छे-खासे वोट बटोरे जा सकें.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लखनऊ की ऐशबाग रामलीला के मंच से जय श्रीराम का नारा लगाने के बाद से ही कहा जा रहा है कि बीजेपी राम मंदिरके मुद्दे को गरमाए रखना चाहती है.