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सपा के साथ गठबंधन हुआ तो शीला दीक्षित क्या करेंगी, राहुल के सामने हैं 4 बड़े सवाल

मंगलवार को जैसी ही खबर आई की समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच मुलाकात हुई, लखवऊ से दिल्ली तक हलचलें तेज हो गईं. इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन होने जा रहा है. लेकिन इसी बीच कई सवाल भी लामने आ रहे हैं जो कम से कम उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के वजूद समाजवादी पार्टी के भविष्य से जुड़़े हैं.

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  • November 2, 2016 8:41 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago

लखनऊ. मंगलवार को जैसी ही खबर आई की समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच मुलाकात हुई, लखवऊ से दिल्ली तक हलचलें तेज हो गईं.

इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन होने जा रहा है. लेकिन इसी बीच कई सवाल भी लामने आ रहे हैं  जो कम से कम उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के वजूद समाजवादी पार्टी के भविष्य से जुड़़े हैं.

शीला दीक्षित का क्या होगा ?
ब्राह्णण चेहरे के नाम पर कांग्रेस ने बड़े ही जोर-शोर से दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को कांग्रेस ने सीएम पद का उम्मीदवार बनाया था. उनको लेकर हुए इस ऐलान से रीता बहुगुणा जोशी ने पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गईं. सपा से गंठबंधन होने  की स्थिति में क्या शीला दीक्षित को घर बैठा दिया जाएगा क्योंकि मुख्यमंत्री का उम्मीदवार तो समाजवादी पार्टी से ही होगा फिर कांग्रेस यूपी में ब्राह्णण वोट बैंक को कैसे दोबारा लुभाएगी?

टिकट की लालसा रखे नेताओं में निराशा ?
कांग्रेस से टिकट पाने वालों की कतार में इस बार 3 हजार लोग शामिल हैं. सपा से गठबंधन की खबरों पर नेताओं और कार्यकर्ताओं का एक बड़ा तबका नाराज बताया जा रहा है क्योंकि अगर सपा के साथ समझौता हुआ तो वर्तमान विधायकों को ही टिकट मिलेगा. इतना ही नहीं ’27 साल यूपी बेहाल’ अभियान का क्या होगा जिसमें राहुल सत्ता में आने पर यूपी को बदल देना का दावा कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि इस पार्टी को जवाब देते नहीं बनेगा.

राहुल गांधी की किसान यात्रा हुई फीकी तो ?
राहुल गांधी कि किसान यात्रा जब देवरिया से चली थी तो निश्चित तौर पर उसको लेकर लोगों में उत्साह था. राहुल गांधी अपने भाषणों में बीजेपी के साथ-साथ सपा और बसपा को भी निशाने पर ले रहे थे. वहीं टिकट की लालसा रखने वाले नेता भी इस कांग्रेस की यात्रा में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे. दूसरा चरण 2 नंवर से शुरू हो रहा है ऐसे में अगर टिकट न मिल पाने की स्थिति बनी तो कांग्रेस के लिए भीड़ जुटाना मुश्लिकल हो जाएगा.

क्यों हड़बड़ी में है कांग्रेस ?
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यूपी में समाजवादी पार्टी और बीएसपी से गठबंधन कर कांग्रेस अंजाम पहले भी भुगत चुकी है. 
सवाल इस बात का है कि ब्राह्णण वोट बैंक के  लिए शीला दीक्षित को मैदान में उतराने के बाद उनको फिर से बैठा देने पर जवाब देना मुश्किल हो जाएगा. 
वहीं समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बाद दलित वोट बैंक भी नाराज हो जाएगा.  नाम न बताने की शर्त पर कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पता नहीं क्यों आलाकमान इनती हड़बड़ी मे है. इस गठबंधन से कांग्रेस को थोड़ा लाभ जरूर हो सकता है लेकिन भविष्य के लिए ठीक न होगा.

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