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डैमेज कंट्रोल में जुटी SP ने किया ऐलान, अखिलेश यादव ही होंगे CM पद के उम्मीदवार

लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी कमर कस ली है लेकिन वहीं समाजवादी पार्टी (SP) मुलायम परिवार में मचे सियासी घमासान के डैमेज कंट्रोल में लग गई है. सपा मुखिया मुलायम सिंह ने पिछले हफ्ते के अपने रुख को पलटते हुए सोमवार को कहा कि अखिलेश यादव ही 2017 में होने वाले यूपी चुनाव में पार्टी का चेहरा होंगे.
पार्टी के महासचिव नेता किरणमय नंदा ने कहा है कि मीडिया में संदेह है, पार्टी और आम लोगों में कोई संदेह नहीं है. उत्तर प्रदेश में फिर से एसपी जीतेगी और अखिलेश यादव फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे. नंदा ने कहा कि नेताजी के बयान का मीडिया ने गलत मतलब निकाला है, नेताजी ने केवल मुख्यमंत्री के चुनने की प्रकीया को बताया था.
मुलायम सिंह ने आज एक बार फिर से अखिलेश को नसीहत देते हुए कहा कि अखिलेश ये ना समझें कि प्रदेश में पार्टी को दोबारा बहुमत मिलने की स्थिति में वो ही मुख्यमंत्री बनेंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी के विधायक और संसदीय बोर्ड उस बात का फैसला करेगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा. मुलायम ने खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि चुनाव में जीत के बाद पार्टी के विधायक तय करेंगे कि कौन सीएम बनेगा. इस बीच परिवार में चल रहे विवादों की खबरों पर पार्टी और परिवार के मुखिया मुलायम सिंह ने इन खबरों को सिरे से नकार दिया. उन्होंने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि मेरे परिवार में ना कोई विवाद था और ना है.
मुलायम सिंह के चचेरे भाई शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तरफदारी में मुलायम सिंह को एक खत लिखा. इसके बाद मुलायम सिंह दिल्ली में रामगोपाल के घर पहुंचे यहां पर दोनों के बीच करीब तीन घंटे तक बातचीत हुई. रामगोपाल ने खत में लिखा कि अखिलेश को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं बनाना गलती होगी. उन्होंने खत में आगे लिखा कि आपने समाजवादी पार्टी को कड़ी मेहनत से बनाया था. आपकी वजह से पार्टी चार बार सत्ता में भी पहुंची. पार्टी को पिछली बार किसी अन्य दल के समर्थन की भी आवश्यकता नहीं पड़ी.
शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री और भतीजे अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोगों को सब कुछ विरासत में और भाग्य से मिल जाता है, जबकि कुछ कुछ लोगों को मेहनत करते-करते जिंदगी बीत जाती है लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिलता लेकिन तब भी समाज की सेवा करते रहते हैं.
बता दें कि कुछ हफ्ते पहले ही शिवपाल यादव ने सीएम अखिलेश की आपत्ति को दरकिनार करते हुए एक मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल को समाजवादी पार्टी में विलय करवाया था, क्योंकि मुख्तार अंसारी की मुस्लिमों में खासी पकड़ है, और उत्तर प्रदेश की 18 फीसदी आबादी मुस्लिम ही है.
सितंबर के बीच में मुलायम सिंह ने सपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष के रूप में सीएम अखिलेश को हटाकर अपने भाई शिवपाल को बिठाया था. इस कदम से यूपी चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन का अधिकार भी शिवपाल को ही मिल गया था. इस कदम से अखिलेश यादव ने शिवपाल से पीडब्लूडी समेत कई अहम् मंत्रालय वापस ले लिए, इसके बाद सरकार और पार्टी पदों से शिवपाल ने इस्तीफा दे दिया था.
दोनों के बीच संधि भी मुलायम सिंह की कोशिशों से हुई थी. शिवपाल सरकार में मंत्री के रूप में वापस आ गए, और मुलायम ने अखिलेश को ये आश्वासन दिया कि चुनाव में प्रत्याशियों के चयन में उनकी अहम भूमिका होगी.
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