नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने लापता बच्चों के गुम होने को रिपोर्ट करने और बच्चों को खोजने के काम को एक जगह पर लाकर ‘खोया-पाया’ नाम से वेबसाइट की शुरुआत की है. साइट के काम करने का तरीका ‘गूगल पर्सन फाइंडर’ और ‘फेसबुक सेफ्टी चेक’ जैसा है जिसके जरिए आपदा में लोग परिवार या परिचित लोगों के बारे में पता करते हैं.
वेबसाइट को केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने लॉंच किया. मेनका ने कहा कि इस साइट पर लापता बच्चे के घरवाले बच्चे की तस्वीर और बाकी जानकारी के साथ सूचना पोस्ट कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस साइट पर किसी लावारिस बच्चे को देखकर कोई भी रिपोर्ट कर सकता है. पुलिस का काम दोनों तरह की सूचना का मिलान करना है ताकि ज्यादा से ज्यादा लापता बच्चों को ट्रैक किया जा सके.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल करीब 75 हजार बच्चे गुम हो जाते हैं. ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी, 2012 से अप्रैल, 2015 के बीच मात्र 73 हजार 597 गुमशुदा बच्चे ही खोजे जा सके.
इसका मतलब है कि गायब होने वाले बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है और हम बहुत बच्चों को खोज तक नहीं पा रहे हैं. माना जाता है कि गुमशुदा बच्चों में ज्यादातर बच्चे बाल मजदूरी में झोंक दिए जाते हैं या यौन उत्पीड़न के शिकार हो जाते हैं.
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