बीजेपी के UP वाले पोस्टर में ‘हरा गुंडाराज’ और ‘नीला भ्रष्टाचार’

यूपी चुनाव के लिए बीजेपी ने शुरुआती तौर पर –ना गुंडाराज, ना भ्रष्टाचार, अबकी बार, भाजपा सरकार- का जो पोस्टर जारी किया है उसमें गुंडाराज को सपा के हरे रंग और भ्रष्टाचार को बसपा के नीले रंग से लिखा गया है. रणनीति साफ है कि सपा गुंडाराज का प्रतीक है और बसपा भ्रष्टाचार का.

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बीजेपी के UP वाले पोस्टर में ‘हरा गुंडाराज’ और ‘नीला भ्रष्टाचार’

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  • June 16, 2016 2:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के लिए बीजेपी ने शुरुआती तौर पर –ना गुंडाराज, ना भ्रष्टाचार, अबकी बार, भाजपा सरकार- का जो पोस्टर जारी किया है उसमें गुंडाराज को सपा के हरे रंग से और भ्रष्टाचार को बसपा के नीले रंग से लिखा गया है. रणनीति साफ है कि सपा गुंडाराज का प्रतीक है तो बसपा भ्रष्टाचार का.
 
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बीजेपी के इस नारे के पोस्टर को चिपकाए घूम रही एक गाड़ी इनख़बर टीम को नोएडा में दिखी जिसकी तस्वीर आप ऊपर देख रहे हैं. इस पोस्टर से ही बीजेपी की यूपी की चुनावी रणनीति का अंदाजा लग रहा है. इस पोस्टर के हिसाब से बीजेपी यूपी में गुंडाराज के लिए मुलायम सिंह यादव- अखिलेश यादव और भ्रष्टाचार के लिए मायावती को निशाना बनाएगी.
 
 
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है जिसमें मुलायम सिंह यादव की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी, सत्ता में वापसी के लिए बेकरार मायावती की बहुजन समाज पार्टी के अलावा बीजेपी और कांग्रेस अपनी-अपनी सरकार बनाने की कोशिश में जुटे हैं.
 
 
कांग्रेस में तो अभी खींचंतान ही चल रही है कि वो प्रशांत किशोर की स्ट्रैटजी से यूपी लड़ेगी या पार्टी के नेताओं के हिसाब से. पार्टी ने दो-तीन दिन पहले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद को यूपी का प्रभारी बना दिया है जिसके बाद इस बात के आसार कम हैं कि आगे प्रशांत किशोर की बात चलेगी.
 
 
यूपी में मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री को हटाकर जितिन प्रसाद को कमान देने की भी चर्चा है जिसकी वजह से खत्री नाराज हो गए हैं. खत्री ने गुलाम नबी आज़ाद द्वारा बुलाई गई पार्टी की बैठक में जाने से इनकार कर दिया और मोबाइल फोन ऑफ करके बैठ गए.
 
 
असम में चुनाव जीत के बाद बीजेपी के अंदर सीएम का कैंडिडेट सामने रखकर चुनाव लड़ने की राय रखने वाले नेताओं की फेहरिश्त लंबी होती जा रही है. इसलिए यूपी के भी कद्दावर बीजेपी नेता अपनी-अपनी दावेदारी को लेकर जोड़-तोड़ में जुटे हैं.
 
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बस समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में ही नेतृत्व या सीएम कौन जैसे सवालों का संकट नहीं है. सबको पता है कि यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार रिपीट हुई तो सीएम अखिलेश यादव ही होंगे जबकि बसपा की सरकार बनी तो मायावती मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वापसी करेंगी.

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