क्या है पूरा मामला?
मार्च 2015 में दिल्ली सरकार ने 21 आम आदमी पार्टी विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था. इसके खिलाफ प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद होनी चाहिए.
राष्ट्रपति ने ये याचिका चुनाव आयोग को भेजकर कार्रवाई करने को कहा और इसी के तहत आम आदमी पार्टी के विधायकों से चुनाव आयोग ने नोटिस भेजकर जवाब मांगा था.
क्या है नियम?
संविधान के नियम के मुताबिक लाभ के पद पर बैठा कोई शख्स विधायिका का सदस्य नहीं हो सकता. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को 2006 में इसी वजह से संसद से इस्तीफा देना पड़ा था. तब सोनिया गांधी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष होने के साथ ही रायबरेली से सांसद थी.
विपक्ष के एतराज जताये जाने के बाद सोनिया ने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दिया और रायबरेली से दोबारा जीतकर सांसद बनीं थी. इस दौरान सरकार ने संविधान में संशोधन करके राष्ट्रीय सलाहकार परिषद सहित 45 पदों को लाभ के पद से अलग कर दिया.
इसके अलावा कांग्रेस के एक नेता की शिकायत पर राज्यसभा सांसद जया बच्चन की संसद सदस्यता खतरे में पड़ गई थी. तब जया बच्चन राज्यसभा की सांसद होने के साथ ही यूपी फिल्म विकास निगम की चेयरमैन भी थी. चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति से उनकी सदस्यता खत्म करने की सिफारिश की, जिसे मान लिया गया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं जया बच्चन को वहां से भी निराश होना पड़ा था. विवाद के बाद तब 2006 में यूपी सरकार ने लाभ के पद को फिर से परिभाषित करते हुए 79 पदों को लाभमुक्त कर दिया था.