गुवाहाटी. असम नतीजों के बाद बीजेपी विरोधी कांग्रेस को कोस रहे हैं कि उसने बदरुद्दीन अज़मल से गठबंधन नहीं किया इसलिए वो हार गई. आप भी यही सोच रहे हैं तो वोट का गुणा-गणित आपका भ्रम दूर कर देगा. वोट गणित कहता है कि दोनों साथ भी होते तो मात्र 15 और ज्यादा सीटें ला पाते. 23 सीटों पर तो ये दोनों मिलकर भी बीजेपी गठबंधन को रोकने लायक नहीं थे.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने असम में बीजेपी की जीत का ठीकरा कांग्रेस के सर फोड़ते हुए कहा है कि बदरुद्दीन अज़मल की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रिटेक फ्रंट और आरजेडी से गठबंधन न करके अकेले लड़ना कांग्रेस को भारी पड़ा. नीतीश ने बीजेपी से कहा कि वो ज्यादा इतराए नहीं क्योंकि कांग्रेस के अकेले लड़ने और जीतने के अतिविश्वास में एनडीए के खिलाफ गठबंधन नहीं था और वो जीत गई.
साथ लड़ते तो कांग्रेस को 12 और अज़मल को 3 और विधायक मिल जाते
खैर, राजनीति में हार और जीत के बाद पार्टी के अंदर और पार्टी के बाहर से इस तरह की बयानबाजी चलती रहती है. राजनीति में दो और दो मिलकर चार ही नहीं होते जैसे डिस्लेमर के साथ ठोस बात ये है कि अगर कांग्रेस और एआईयूडीएफ का गठबंधन हो गया होता तो भी दोनों पार्टियां मिलकर भी 15 और ज्यादा सीट ही जीत पातीं. दूसरे नंपर पर रही पार्टी को अगर सीट दे दें तो 12 सीट कांग्रेस ज्यादा जीत लेती और अज़मल की पार्टी 3 और विधायक जुटा लेती. सीधे-सीधे ये सीटें कांग्रेस और अजमल के खाते में जोड़ भी दें तो आंकड़ा 39 से बढ़कर पहुंचता 54 पर जबकि सरकार बनाने के लिए चाहिए थे कम से कम 64 विधायक.
एनडीए गठबंधन में बीजेपी के पास 60, असम गण परिषद के पास 14 और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के पास 12 सीटें हैं. मतलब एनडीए की 86 सीटों में 15 हटा भी देते तो उनके पास 71 विधायक होते जो सरकार बनाने के लिए काफी होते. जब इतना जान ही लिए तो ये भी जान लीजिए कि 126 सीटों में 23 सीटें तो ऐसी रहीं जहां कांग्रेस और अज़मल की पार्टी का वोट भी मिला दें तो भी बीजेपी या उसकी सहयोगी पार्टी का कैंडिडेट नहीं हारता.
कई सीटों पर दूसरे नंबर पर भी नहीं रही कांग्रेस या अज़मल की पार्टी
बहुत सारी सीटें ऐसी भी रहीं जिसे कांग्रेस या अज़मल की पार्टी के कैंडिडेट ने जीता और वो दोनों पहले और दूसरे नंबर पर रहे लेकिन कई सीटें ऐसी भी रहीं जहां बीजेपी या उसके सहयोगी दलों के कैंडिडेट जीते और कांग्रेस या अज़मल की पार्टी दूसरे नंबर पर नहीं थी. कई जगह निर्दलीय दूसरे नंबर पर दिखे हैं जो जाहिर तौर पर किसी न किसी बड़ी पार्टी के बागी रहे होंगे.
पहले पढ़िए वो सीटें जहां इस चुनाव में मिले वोट के हिसाब से कांग्रेस और अजमल की पार्टी साथ लड़तीं तो सीट निकाल लेतीं. इसके नीचे वो 23 सीटें भी जहां दोनों मिलकर भी एनडीए का बाल बांका नहीं कर पाते.
15 सीटें जहां कांग्रेस और अज़मल साथ लड़ते तो जीत जाते
1. बारछला- बीजेपी- 53912, कांग्रेस- 30230, एआईयूडीएफ- 23821
2. बरखेत्री- बीजेपी- 69223, कांग्रेस- 60610, एआईयूडीएफ- 9950
3. बारपेटा- एजीपी- 63563, कांग्रेस- 57753, एआईयूडीएफ- 37697
4. बाटाद्रोबा- बीजेपी- 46343, कांग्रेस- 40458, एआईयूडीएफ- 33022
5. बिलासीपारा पूर्व- बीजेपी- 59206, कांग्रेस- 54110, एआईयूडीएफ- 43213
6. गोलकगंज- बीजेपी- 74644, कांग्रेस- 68253, एआईयूडीएफ- 16843
7. गोसाइगांव- बीपीएफ जीती- 45517, एआईयूडीएफ- 39476, कांग्रेस- 32187
8. कटीगोरा- बीजेपी- 59764, एआईयूडीएफ- 50956, कांग्रेस- 16418
9. लुमडिंग- बीजेपी- 72072, कांग्रेस- 41672, एआईयूडीएफ- 39075
10. मंगलादोई- बीजेपी- 73423, कांग्रेस- 51378, एआईयूडीएफ- 48417
11. गौगॉंग- बीजेपी- 66706, कांग्रेस- 53442, एआईयूडीएफ- 18038
12. पथारकांडी- बीजेपी- 46544, एआईयूडीएफ- 37276, कांग्रेस- 32048
13. राहा- बीजेपी- 76941, कांग्रेस- 43867, एआईयूडीएफ- 38767
14. सोनई- बीजेपी- 44236, कांग्रेस- 36683, एआईयूडीएफ- 32109
15. उधारबोंड- बीजेपी- 54204, कांग्रेस- 45598, एआईयूडीएफ- 8715
23 सीटें जहां कांग्रेस और अजमल मिलकर भी बीजेपी या सहयोगी दलों को नहीं रोक पाते
1. अमगुरी- एजीपी- 42010, कांग्रेस- 40390. एआईयूडीएफ- 873
2. बरहामपुर- एजीपी- 65768, कांग्रेस- 60599, एआईयूडीएफ- 2787
3. बरखोला- बीजेपी- 36482, कांग्रेस- 21946, एआईयूडीएफ- 4051 (दूसरे नंबर पर निर्दलीय मिस्बाहुल इस्लाम लश्कर- 36440)
4. बिजनी- बीपीएफ- 29240, एआईयूडीएफ- 18197, कांग्रेस- 3861
5. ढेकियाजुली- बीजेपी- 71425, कांग्रेस- 36430, एआईयूडीएफ- 16690
6. धोलई- बीजेपी- 68694, कांग्रेस- 41857, एआईयूडीएफ- 13382
7. दुधनई- बीजेपी- 79983, कांग्रेस- 51316, एआईयूडीएफ- 11305
8. हफ्लॉंग- बीजेपी- 52037, कांग्रेस- 43731, एआईयूडीएफ- 2723
9. हाजो- बीजेपी- 55096, कांग्रेस- 46188, एआईयूडीएफ- 3567
10. होजई- बीजेपी- 105615, कांग्रेस- 49756, एआईयूडीएफ- 35207
11. जगीरोड- बीजेपी- 94550, कांग्रेस- 66224, एआईयूडीएफ- 7192
12. जोरहट- बीजेपी- 69209, कांग्रेस- 55571, एआईयूडीएफ- 842
13. कलाईगांव- बीपीएफ- 47206, एआईयूडीएफ- 29585, कांग्रेस- 10367
14. कलियाबोर- एजीपी- 64759, कांग्रेस- 26769, एआईयूडीएफ- 3682
15. खुमतई- बीजेपी- 57637, कांग्रेस- 40763, एआईयूडीएफ- 1763
16. लखीमपुर- एजीपी 45917, कांग्रेस- 41762, एआईयूडीएफ- 1313
17. मजबत- बीपीएफ- 48351, एआईयूडीएफ- 22133, कांग्रेस- 20577
18. रंगापारा- बीजेपी- 51597, कांग्रेस- 28606, एआईयूडीएफ- 13281
19. रंगिया- बीजेपी- 58353, कांग्रेस- 26286, एआईयूडीएफ- 14411
20. रताबारी- बीजेपी- 53975, कांग्रेस- 29449, एआईयूडीएफ- 23926
21. सिपाझार- बीजेपी- 65487, कांग्रेस- 53312, एआईयूडीएफ- 2476
22. सोरभोग- बीजेपी- 56454, कांग्रेस- 36928, एआईयूडीएफ- 17504
23. तेजपुर- बीजेपी- 71170, कांग्रेस- 36507, एआईयूडीएफ- 22295
तो आ गई ना बात समझ में. असम ने मन बना लिया था कि इस बार सरकार बीजेपी की ही चाहिए. कांग्रेस वाले गठबंधन कर लेते तो भी और नहीं किया तो भी, नतीजा यही रहना था.