गुवाहाटी. चुनावी अंकगणित मजेदार चीज होती है. पांच राज्यों के चुनाव में सबसे रोचक नतीजा असम में दिखा है जहां 26 सीट पर सिमट गई कांग्रेस को 60 सीट जीतने वाली बीजेपी से डेढ़ परसेंट ज्यादा वोट मिले. असम में कांग्रेस को 31 परसेंट वोट मिला है जबकि बीजेपी को 29.5 परसेंट.
इस खेल में बहुत झोल नहीं है. बात इतनी सी है कि कांग्रेस ने 126 सीटों की असम विधानसभा की 122 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे इसलिए उसे मिले कुल 52 लाख 38 हजार 655 वोट को जब 122 सीटों के वोटरों के हिसाब से जोड़ा गया तो वो 31 प्रतिशत आ गया.
वहीं बीजेपी असम गण परिषद और बोडो पीपुल्स फ्रंट के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा थी. बीजेपी ने 126 सीटों में 89 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. बीजेपी को चुनाव में वोट मिले 49 लाख 92 हजार 185. बीजेपी को मिले इस वोट को जब 87 सीटों पर वोटरों की कुल संख्या के हिसाब से जोड़ा गया तो वो 29.5 प्रतिशत आता है.
एजीपी को 8.1% पर 14 सीट तो बीपीएफ को 3.9% पर ही 12 सीटें
बीजेपी की सहयोगी असम गण परिषद ने 20 और बोडो पीपुल्स फ्रंट ने 13 सीट लड़े थे. एजीपी को 8.1 प्रतिशत वोट के साथ 14 सीटें और बीपीएफ को 3.9 प्रतिशत वोट के साथ 12 सीटें मिली हैं. अगर बीजेपी और उसके दोनों सहयोगियों का कुल वोट प्रतिशत जोड़ दें तो ये करीब 41.5 प्रतिशत तक पहुंच जाता है जो जाहिर तौर पर कांग्रेस के 31 प्रतिशत पर बहुत भारी है.
2011 के चुनाव में कांग्रेस ने 39.39 प्रतिशत वोट के साथ 78 सीटें जीती थी. उस बार 11.47 परसेंट वोट के साथ बीजेपी महज 5 सीट जीत पाई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में असम में कांग्रेस को 29.90 प्रतिशत के साथ 3 सीट और बीजेपी को 36.86 प्रतिशत के साथ 7 सीटें मिली थीं.
12-14% के बीच झूल रहा है बदरुद्दीन अज़मल की पार्टी का वोटर शेयर
बदरुद्दीन अज़मल की खुद की हार को छोड़ दें तो उनकी पार्टी एआईयूडीएफ का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है. सीट के हिसाब से और वोट शेयर के हिसाब से भी. अजमल की पार्टी को 2011 में 12.57 प्रतिशत वोट के साथ 18 सीटें आई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में अजमल की पार्टी को 14.98 प्रतिशत वोट के साथ 3 सीटें मिली थीं. इस चुनाव में वो खुद हार गए लेकिन उनकी पार्टी को 13 परसेंट वोट और 13 सीट मिली है.