उलान बटोर. एक दिवसीय यात्रा के लिए मंगोलिया पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार के दिन मंगोलिया संसद को संबोधित किया. उन्होंने संसद को संबोधित करते हुए कहा, ‘रविवार के दिन करने में गर्व हो रहा है. सदियों पहले जब आने-जाने के साधन नहीं थे तबसे भारत-मंगोलिया एक-दूसरे से जुड़े हैं. मंगोलिया की आर्थिक […]
उलान बटोर. एक दिवसीय यात्रा के लिए मंगोलिया पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार के दिन मंगोलिया संसद को संबोधित किया. उन्होंने संसद को संबोधित करते हुए कहा, ‘रविवार के दिन करने में गर्व हो रहा है. सदियों पहले जब आने-जाने के साधन नहीं थे तबसे भारत-मंगोलिया एक-दूसरे से जुड़े हैं. मंगोलिया की आर्थिक तरक्की से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं. भारत और मंगोलिया के बीच चाहे कितनी भी भौगोलिक विभिन्नता हो, मुझे यकीन है कि दोनों देशों के आपसी संबंध हर हाल में मजबूत होंगे. मुझे यकीन है कि दोनों देशों के बीच सहयोग की सबसे बड़ी कड़ी मानव संसाधनों और अन्य संस्थाओं में निवेश ही हो सकता है.’
मोदी ने कहा, ‘मंगोलिया के लोगों की क्षमताओं पर किसी को शक नहीं है. रक्षा के क्षेत्र में हमारा आपसी सहयोग बढ़ रहा है. एक-दूसरे से हम काफी कुछ सीख सकते हैं. मुझे यकीन है कि आध्यात्म के क्षेत्र में हमारा गौरवशाली अतीत और मानवीय गुणों की हमारी खासियत के मिश्रण से हम विश्व और समाज के बहुत काम आ सकते हैं. मुझे यहां की संसद से एक अलग तरह का जुड़ाव महसूस हो रहा है. यहां कमल का चिन्ह है. मैं आपको बताना चाहूंगा कि मेरी राजनीतिक पार्टी का चिन्ह भी कमल ही है. बुद्ध की विचारधारा और लोकतंत्र के मेल से हम एशिया में शांति, सहयोग, भाईचारा और समानता का माहौल बनाने में कामयाब होंगे.’
मोदी ने गंदन मठ को बोधि वृक्ष का पौधा भेंट किया
संसद को संबोधित करने से पहले मोदी ने मंगोलिया की राजधानी उलान बटोर स्थित ऐतिहासिक गंदन मठ का दौरा किया और बौद्ध मठ के मुख्य महंत को बोधि वृक्ष का पौधा भेंट किया. मठ के मुख्य महंत हांबा लामा ने मोदी का स्वागत किया और उन्हें नीले रंग का एक स्कार्फ एवं प्रतीक चिन्ह भेंट किया. मोदी ने मठ में 150 बौद्धभिक्षुओं से मुलाकात की संग्रहालय में बौद्ध अवशेषों का मुआयना भी किया. उन्होंने मठ की परिक्रमा की. इसके बाद मोदी गंदन मठ के अंदर स्थित जनरैसाग मठ भी गए, जहां 26 मीटर ऊंचे जनरैसाग बुद्ध की प्रतिमा स्थापित है. गंदनटेगचिंलेन मठ की स्थापना 1835 ईस्वी में मंगोलिया के सर्वोच्च अवतरित लामा पांचवें जेबत्सुनदांबा ने की थी. मठ में तीन कॉलेज भी हैं, जहां बौद्ध दर्शन की शिक्षा दी जाती है.