नई दिल्ली: सूखा से बेहाल उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में केंद्र सरकार ने पानी की ट्रेन भेजी है. हालांकि राज्य सरकार ने इसे लेने से मना कर दिया है. अखिलेश यादव सरकार ने कहा है, हमारे यहां लातूर के जैसे हालात नहीं हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी चिट्ठी में कहा कि अगर हमें पानी की जरूरत महसूस होगी तब हम रेलवे को सूचित कर देंगे. केंद्र की तरफ से पानी के टैंकों से भरी ट्रेन झांसी में खड़ी है. बता दें कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में पानी की भारी किल्लत कितनी गंभीर है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां के कुछ किसान सूखे के कारण अपनी फसलों के नुकसान के चलते आत्महत्या कर चुके हैं.
यूपी सरकार पहले दे चुकी है पैकेज
यूपी सरकार ने अपने बजट में बुंदेलखंड के विकास और सूखा राहत के लिए 1400 करोड़ का पैकेज दिया है. 2011 की सेंसस के मुताबिक, बुंदेलखंड इलाके की कुल आबादी 18.3 मिलियन है. यहां पिछले तीन साल से अच्छी बारिश नहीं हुई. जिसकी वजह से सूखे के हालात हैं. किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है और इलाके की ज्यादातर आबादी रोजगार की तलाश में दिल्ली, मुंबई, और लखनऊ का रुख कर चुकी है. कई गांव सूने हो गए हैं, कुछ में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग रहते हैं, लेकिन कमाने वाले सभी युवा बाहर काम करते हैं.
‘सरकार ने पानी का इंतजाम किया’
एसपी के प्रवक्ता सीपी राय ने कहा, ”हमने खुल गांवों में पानी के इंतजाम किए हैं. ये सिर्फ केंद्र की नौटंकी है.”बता दें कि सात मई को यूपी के सीएम दिल्ली में पीएम से मुलाकात करने वाले हैं. केंद्र सरकार ने पानी ट्रेन भेजकर सूखे की मार झेल रहे महाराष्ट्र के लातूर इलाके की प्यास बुझाई है. अब सरकार ने 10 पानी के टैंकरों वाली ट्रेन कोटा से महोबा भेजी, लेकिन ये झांसी स्टेशन पर खड़ी है.
‘तीन बाल्टी पानी मिल रहा है बादलों से’
बुंदेलखंड एक-दो जिलों वाला इलाका नहीं है. इसमें उत्तर प्रदेश के सात और मध्य प्रदेश के छह जिले आते हैं. यह इलाका एक भरे पूरे प्रदेश के बराबर है. आबादी दो करोड़ है. जल विज्ञान के विशेषज्ञ हिसाब लगाकर बता रहे हैं कि इस समय देश में बढ़ती आबादी के कारण प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष जल उपलब्धता सिर्फ 75 फीसद बची है. यानी हर व्यक्ति के हिस्से में बादलों से ही चार बाल्टी की बजाए सिर्फ तीन बाल्टी मिल रहा है. इसी आधार पर इसी स्तंभ में दो महीने पूर्व लिखा गया था कि पानी की छीना झपटी के दिन आने की आहट.