नई दिल्ली. लोकसभा में पेश संशोधित जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को पारित कर दिया गया है. इसके तहत अब 16 से 18 साल के किशोर आरोपियों पर व्यस्क कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. बिल पर महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि उन्होंने बाल हितैषी रुख अपनाने और पीड़ितों के प्रति न्याय व बच्चों के अधिकारों के बीच पूर्ण संतुलन बनाने के प्रयास किए हैं. सरकार की ओर से इस विधेयक में कम से कम 42 संशोधन पेश किए गए और उन सभी को स्वीकार कर लिया गया हैं. हालांकि कांग्रेस के शशि थरूर और आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन समेत कई विपक्षी सदस्यों ने संशोधनों का विरोध किया था.
यह जुवेनाइल जस्टिस एक्ट वर्तमान एक्ट 2002 का स्थान लेगा. नए बिल में नए अपराधों को भी शामिल किया गया है. इनमें गैरकानूनी गोद लेना, स्कूलों में शारीरिक दण्ड, आतंकी संगठनों द्वारा बच्चों का उपयोग और निशक्त बच्चों के खिलाफ किए गए अपराध शामिल हैं. इस संशोधित बिल में गोद लेने की प्रथा को भी व्यवस्थित किया गया है. संशोधित बिल के मुताबिक 16-18 वर्ष की आयु के किशोर के जघन्य अपराध करने पर अब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड देखेगा कि अपराध बच्चे की तरह किया गया या फिर व्यस्क की तरह. इसी के अनुसार बोर्ड मुकदमे को आगे बढ़ाएगा. इस बोर्ड में मनोवैज्ञानिक और सामाजिक विशेषज्ञ होंगे. बता दें कि 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले में 16 वर्षीय एक किशोर की संलिप्तता के कारण यह बिल लाया गया था.
IANS
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