लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ की पहली महिला अध्यक्ष रिचा सिंह को विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित किए जाने व डराने-धमकाने की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि इस मामले में यूनिवर्सिटी प्रशासन के साथ-साथ प्रदेश की सपा सरकार को भी इसकी रोकथाम के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए.
मायावती ने अपने बयान में कहा कि लगता है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रशासन व प्रदेश की सपा सरकार ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी के दलित शोधछात्र रोहित वेमुला को आत्महत्या के लिए विवश किए जाने की दुखद घटना से कोई सबक नहीं सीखा है, वरना रिचा सिंह के साथ जो जुल्म-ज्यादती हो रही है, वह नहीं होती.
बसपा मुखिया ने कहा कि रिचा सिंह देश की आजादी के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी यूनियन की पहली महिला अध्यक्ष हैं और पीएचडी की छात्रा है. उनका जुर्म सिर्फ इतना ही है कि उन्होंने उग्र व भड़कीले सांप्रदायिक भाषण देकर माहौल खराब करने वाले गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ को यूनिवर्सिटी कैम्पस में आमंत्रित किए जाने का विरोध किया था.
उन्होंने कहा कि रिचा सिंह ने विरोध इसलिए किया, ताकि संगम की नगरी इलाहाबाद को नफरत व आग का दरिया बनाने से रोका जा सके. यह बात यूनिवर्सिटी प्रशासन व बीजेपी के छात्र संघ को पसंद नहीं आई और उन्होंने विभिन्न स्तर पर रिचा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और उन्हें डराने-धमकाने भी लगे हैं, जो पूरी तरह गलत है.
बसपा मुखिया ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि रिचा सिंह के पीएचडी के दाखिले में गड़बड़ी हुई थी, लेकिन यह सवाल आज अचानक दो वर्ष के बाद क्यों उठाया जा रहा है? उन्होंने कहा कि रिचा का दाखिला साल 2013-2014 में हुआ था और अगर उसके दाखिला में कोई गड़बड़ी हुई है तो उसकी सजा यूनिवर्सिटी के उन लोगों को मिलनी चाहिए जिन्होंने उसे दाखिला दिया. यह निश्चित तौर पर रिचा सिंह को जानबूझकर प्रताड़ित किए जाने का मामला है.